विश्वपति वर्मा (vishwapati verma) या सौरभ वीपी वर्मा उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के निवासी हैं वें स्वतंत्र पत्रकार हैं और भारत के ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए जाने जाते हैं।[https://www.tahkikatsamachar.in]
विश्वपति वर्मा मूलरूप से अमरौली शुमाली गांव के निवासी हैं जो भारत के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद का एक बड़ा ग्राम पंचायत है ।सौरभ वीपी वर्मा (विश्वपति वर्मा) का समाज से काफी लगाव रहा है जिसके नाते उन्होंन वर्ष 2009 से सामाजिक में व्याप्त कई समस्याओं को लेकर प्रमुखता से आवाज उठाई है। विश्वपति वर्मा (सौरभ) वर्तमान में पत्रकारिता के क्षेत्र को चुन कर अपने क्रांतिकारी लेखों और यूट्यूब पर वीडियो के माध्यम से समाज की दबी कुचली आवाज को बुलंद करने का काम कर रहे हैं।
विश्वपति वर्मा को सौरभ वीपी वर्मा के नाम से भी जाना जाता है उनका फेसबुक अकाउंट saurabh vp verma और वेबसाइट web www.tahkikatsamachar.inतहक़ीकात समाचार पर उनकी लेखों की काफी प्रशंसा होती है।
सौरभ वीपी वर्मा (विश्वपति वर्मा) बहुत ही शांतिप्रिय व्यक्ति हैं वें किसी भी मामले को गंभीरता से जाने बगैर उस पर बहसँ करना नही चाहते हैं। किसी भी मुद्दे पर वें सामने वाले से तर्क वितर्क के आधार पर ही बात करना पसंद करते हैं।
वें अपने लेखनी के क्षेत्र में एक हजार से अधिक मुद्दों पर लेख लिखकर जंहा जिम्मेदारों को जगाने का काम कर चुके हैं वंही वें नेशनल वॉयस टीबी चैनल, विचार परक हिंदी पेपर,सिटीजन न्यूज़ में भी अपनी सेवा दे चुके हैं ।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के मुद्दे को डर और भय को त्यागते हुए स्थानीय समस्याओं को बेबाकी से बुलंद करने के लिए उन्हें जाना जाता है। वर्तमान में वें एक यूट्यूबर और लेखक हैं जो अपनी लेखनी और वीडियो को तहकीकात समाचार के नाम से बनाये गए यूट्यूब और वेब पोर्टल पर पाठकों के लिए परोसते हैं।
शिक्षा
शिक्षा की बात करें तो उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल से ही प्राप्त किया उसके बाद मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से स्नातक की डिग्री हासिल की, स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद विश्वपति वर्मा कहते हैं कि अभी वह अपनी पढ़ाई को जारी रखेंगे, लेकिन उनका यह भी मत है कि लोगों को अपना परचम लहराने के लिए कुछ ऐसा स्थान मिलता है जहां डिग्री की कोई महत्व नहीं रह जाता बशर्ते लोगों को अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए प्लेटफार्म मिलना चाहिए। वो कहते हैं कि फिलहाल लोगों को शिक्षा ग्रहण करना चाहिए ताकि देश दुनिया और समाज की गतिविधियों को कोई भी व्यक्ति कायदे से समझ सके।
सामाजिक कार्य
अपने छात्र जीवन से ही उन्होंने समाज के शोषित ,वंचित, गरीब, किसान एवं व्यापारियों के हित की लड़ाई लड़ी है , क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर चाहे तहसील मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करने की बात रही हो या फिर ता बेसिक मुद्दे को लेकर राजधानी लखनऊ में धरना प्रदर्शन में हिस्सा लेने की बात रही हो उन्होंने कम उम्र में देश की जनता के हित में लड़ाई लड़ने के लिए अपने आपको समाज के लिए समर्पित किया है । बेहद कम उम्र में एक अलग छवि बनाते हुए विश्वपति वर्मा ने जिस तरहं से गरीबों एवं मजबूरों की मदद की है उसी तरहं से उनकी लोकप्रियता भी क्षेत्र के महिलाओं बुजुर्गों एवं बच्चों में बनी रहती है।
सम्मान
अपने मेहनत के दम पर विश्वपति वर्मा ने कई बड़े संस्थानों से सम्मान भी हासिल किया है 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में महावारी की समस्या से निपटने के लिए लिखे गए लेख पर वैश्विक सतत विकास लक्ष्य के कार्यक्रम में उन्हें राजधानी लखनऊ में सम्मानित किया गया।
देश के उत्तरी इलाके बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती महाराजगंज एवं पीलीभीत के ग्रामीण क्षेत्रों में शासन प्रशासन की विसंगतियों की वजह से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही एवं मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने वाले लोगों पर लिखी गई स्टोरी पर भी उन्हें सम्मान दिया गया है। इसके अलावा ग्रामीण अंचल में पत्रकारिता के क्षेत्र में तैयार की जाने वाली समीक्षात्मक रिपोर्ट की जरूरत और निष्पक्षता को देखते हुए वर्ष 2022 में राजधानी लखनऊ में बहादुर शाह जफर सम्मान 1857 से सम्मानित किया ।
वर्ष 2016 में उन्होंने प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को लेकर फ्यूचर आफ इंडिया के संस्थापक मजहर आजाद के साथ लखनऊ के हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के सामने भूख हड़ताल किया जिसमें मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पाण्डेय का समर्थन मिला जिसका परिणाम रहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मिलने के लिए आमंत्रित किया और उन्होंने नई सरकार के गठन के बाद शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की बात कही ,अखिलेश यादव ने चुनावी माहौल का हवाला देकर बदहाल शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए वक्त मांगा लेकिन मजहर आजाद ,संदीप पांडेय और विश्वपति वर्मा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
इसके अलावा कई स्थानीय ,प्रादेशिक और राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर विश्वपति वर्मा ने तहसील प्रशासन एवं जिला प्रशासन के सामने कई आंदोलन भी किए हैं जिसके परिणामस्वरूप कई समस्याओं पर तत्काल प्रभाव से समाधान निकाला गया है।
पत्रकारिता
विश्वपति वर्मा या सौरभ वीपी वर्मा वर्ष 2009- 10 से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहे हैं लेकिन यह उनका व्यवसायिक काम नही है ,वें चाहते हैं कि समाज के बड़ी आबादी को अपनी पत्रकारिता के माध्यम से जागरूक करें ताकि लोग अपने हक अधिकारों को समझ सकें और समाज के अग्रिम पंक्ति में आने का निर्णय स्वयं ले सकें।
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