उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि यदि गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र जैसे राज्य आम जनता को पाइप के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति कर सकते हैं तो उत्तर प्रदेश क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड और इसके समान समस्या वाले अन्य जनपद हर साल गर्मी के दिनों में पेयजल के गंभीर संकट से जूझते रहे हैं, लेकिन पिछले लगभग डेढ़ वर्षों से राज्य सरकार के प्रयासों के चलते बुन्देलखण्ड से पानी की मंाग नहीं आई। राज्य सरकार का संकल्प है कि कोई भी क्षेत्र पेयजल के संकट से नहीं जूझेगा और गांव-गांव तक शुद्ध पानी पहुंचाया जाएगा।
ग्राम्य विकास मंत्री आज यहां राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत जल निगम के मुख्यालय परिसर में नवनिर्मित भवन के लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे। इस नवनिर्मित भवन में राज्य स्तरीय जल परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई है। इसके अलावा भवन के द्वितीय तल पर राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन एवं अन्य कार्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। इस भवन की लागत 6.28 करोड़ रुपये आई है। पहले ये सारे कार्यालय किराए के भवन में संचालित किए जा रहे थे, जिस पर हर साल 60 लाख रुपये व्यय हो रहे थे अब इसकी बचत होगी। उन्होंने पेयजल मिशन के अधिशासी निदेशक श्री सुरेन्द्र राम की सराहना करते हुए कहा कि उनके एवं जल निगम के अधिकारियों के प्रयास से यह कार्य सम्भव हो सका है।डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार गिरते भूजल स्तर से काफी चिन्तित हैं। इसलिए भूजल रिचार्ज तथा बरसात के पानी का उपयोग किए जाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास है कि जो क्षेत्र पेयजल संकट से ग्रस्त हैं उसके स्थाई समाधान के लिए कारगर रणनीति बनाई जाए, इसलिए उन्होनें बजट में बुन्देलखण्ड सहित समान समस्या वाले क्षेत्रों के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था करायी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में दूषित पेयजल है और कहीं खारा तथा आर्सेनिक व फ्लोराइड से युक्त है। ऐसे क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है। इसकों दृष्टिगत रखते हुए पाइप से पेयजल की आपूर्ति किए जाने की व्यवस्था बनाई गई है।
ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि प्रदूषित पेयजल से गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं। जे0ई0/ए0ई0एस0 प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति किए जाने से इसके प्रकोप में लगातार कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 17 करोड़ जनसंख्या गांवों में रहती है और सभी तक शुद्ध पीने का पानी पहुंच सके इसके लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में 27 लाख से अधिक इंडियन मार्का हैण्डपाइप लगाए गए थे। इनमें से अधिकांश का पानी पीने योग्य नहीं है। इसके अलावा तमाम क्षेत्रों में धरती के नीचे पानी ही नहीं है। राज्य सरकार भूगर्भ जल रिचार्ज तथा सतह का पानी उपयोग में लाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है।
इस निवनिर्मित भवन में स्थापित प्रयोगशाला एन0ए0बी0एल0 द्वारा प्रमाणित है। पानी की गुणवत्ता के परीक्षण में उत्कृष्ठता बनाए रखने के लिए विगत 28 सितम्बर, 2018 को उ0प्र0 जल निगम तथा नीरी, नागपुर के बीच एम0ओ0यू0 पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस प्रयोगशाला में जल परीक्षण के लिए पारम्परिक उपकरणों के अलावा रासायनिक परीक्षण हेतु एटाॅमिक एब्जाप्र्शन स्प्रेक्ट्रो फोटोमीटर, आई0सी0, टी0ओ0सी0, एनालाइजर आदि उपकरण तथा जीवाणु परीक्षण हेतु उपकरणों की व्यवस्था है। प्रयोगशाला में हर साल लगभग 10 हजार पानी के नमूनों का परीक्षण किए जाने की क्षमता है। इसके अलावा इसमें जनपदीय प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों की पुष्टि का कार्य भी किया जाता है।
इस मौके पर ग्राम्य विकास मंत्री ने परिसर में वृक्षारोपण भी किया। इस अवसर पर जल निगम के चेयरमैन श्री जी0 पटनायक, ग्राम्य विकास आयुक्त श्री एन0पी0 सिंह, अधिशासी निदेशक पेयजल एवं स्वच्छता मिशन श्री सुरेन्द्र राम, विशेष सचिव ग्राम्य विकास श्री अच्छे लाल सिंह यादव व डा0 हरिश्चन्द्र, प्रबंधक निदेशक जल निगम एवं मुख्य अभियंता जल निगम समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।