विश्वपति वर्मा–
बकरा कसाई की जयजयकार कैसे करता है यह देखना हो तो भारतीय राजनीति के निचली इकाई में उतरना होगा।
यही वह वर्ग है जो खुद गरीबी,बेरोजगारी, कुपोषण, पानी निकासी ,चकरोड जैसी समस्याओं को देखते हुए राजनीति के निचली इकाई से प्रतिनिधित्व करने लगता है ,और कसाई की जयजयकार करने लगता है जिसने पिछले दिनों के कार्यकाल में कई निर्दोष बकरों को काट दिया था ।
और अबकी बार छूरे पर धार रखवा कर खुद वह कसाई के पास पंहुचता है और कहता है ,महाराज तुम्ही हमारे अन्नदाता हो लो नया छूरा और काट दो मुझको फिर जनता के कुकुर में पका कर खा लिया जाता है।
आसानी से समझने के लिए हम थोड़ा आपको पीछे की तरफ ले चलते हैं ।वर्ष 2004 के बाद से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही और इन 10 सालों में देश भर के नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने जमकर देश के धन को लूटा जिसका नतीजा रहा कि भ्रष्टाचार के इस दलदल को देख भारत की जनता त्राहि त्राहि करने लगी
इतने बड़े भ्रष्टाचार और और समस्या को देखकर निचली इकाई में भी खलबली मची और केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उन बकरों ने संकल्प लिया जो अपने निर्दोष बकरे भाइयों को कटता देख रहे थे ,नतीजा भी निकला जंहा पुराने कसाई के पद को हस्तांतरण करने में बकरे भाई सफल रहे।और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नए प्रतिनिधित्वकर्ता नरेंद्र मोदी को कुर्सी पर बैठा दिया।
इसका नतीजा भी निकला जंहा पर सरदार ने यह माना कि देश मे निर्दोष बकरों को बलि चढ़ाया गया जिसकी वजह से बकरे भाइयों में आक्रोश का माहौल है ,और सरदार ने जंग खा रही सिस्टम को रिपेयरिंग करना शुरू कर दिया।
लेकिन दुर्भाग्य ही रहा कि सरदार द्वारा बकरों के साथ छेड़छाड़ न करने की नीति बनाई गई वही बकरे सरदार से घिन्न करने लगे क्योंकि अब उन्हें मलाईदार भोजन की जगह घास-भूसा ही खाने वाली नौबत दिख रही थी ।
अब सभी बकरे जो मेमनों के सरदार थे ये लोग मेमनों के लिए भरण पोषण के लिए सरदार द्वारा दी जाने वाली कुपोषण मुक्त भोजन में सेंध लगाना शुरू कर दिया ।उसके बाद मेमने तो कुपोषण से मुक्त नही हो पाए अलबत्ता बकरों का एक बड़ा समूह खुद खा पीकर मोटा हो गया।
और इन कुपोषण युक्त मेमनों को स्थानीय प्रशासन के पास ले जाकर सौंप दिया कि लो अब हम और तुम दोनों मिलकर इसको खायेंगे और सरदार को संदेश देंगे कि अब बकरों को कोई समस्या नही है अब सब शान से जिंदगी जी रहे हैं।
उदाहरण स्वरूप अब सरकार द्वारा जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अनेकोंनेक योजनाओं को लाई जा रही हैं लेकिन निचली इकाई खास कर के पंचायती राज और समाज कल्याण के भ्रष्ट अधिकारियों और जनता के जनप्रतिनिधि दोनों मिलकर गांव के गरीब, पिछड़े ,शोषित एवं वंचित वर्ग के अधिकारों को हड़पने के लिए अब जनता को बलि का बकरा बना रहे हैं। और यही दबी कुचली जनता प्रशासन और शासन के पैरोकार विधायक एवं सांसद की जयजयकार लगाने में मस्त है।