विश्वपति वर्मा_
एक बड़े समुदाय की बदहाल -फटेहाल जिंदगी को देख कर सादे पन्ने पर उनकी कुंडली खोज ही रहा था कि इसी बीच लिखने और बोलने की शैली ने हमे पत्रकारिता की तरफ मोड़ दिया ।यंहा आने के बाद मेरे जेहन में यह विचार आया कि चलो यहीं से उस आबादी को समाज की मूल धारा में लाने की वकालत की जाए जो वर्षों से उपेक्षित हैं ,लेकिन न जाने क्यों अखबारों के पन्नों और चैनल के स्टूडियो से हमेशा हमारा मोह भंग ही रहा फिलहाल ऐसे ही पत्र -पत्रिकाओं और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखने का क्रम जारी रहा।
समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को अग्रिम पंक्ति में लाने की जिज्ञासा ने हमे गांव से लेकर मेट्रो शहर तक जोड़ दिया और देखते ही देखते हमने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र ,दिल्ली ,हरियाणा एवं बिहार के दर्जनों शहरों और सैकड़ों गांवों का चित्रण कर डाला ।
इस दौरान सोचने और समझने की क्षमता ने आगाह करते हुए बताया कि समाज को उचित नेतृत्व नही एक बड़ी नेतृत्व की जरूरत है, क्योंकि आजादी के 70 वर्षों में देश का बड़ा हिस्सा शिक्षा ,चिकित्सा ,रोजगार से वंचित है ,46 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है,55 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं ,19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं ,लगभग 4 लाख लोग भीख मांगते हैं ,आज भी 6 से 14 साल के 80 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल नही देखे ,सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और संसाधन अपर्याप्त हैं इसके अलावां जगह जगज भ्रष्टाचार व्याप्त है ।
अपने इस जीवन काल खण्डों में कई सारे मौसम देखे, कई उतार चढ़ाव आये, कई लोग मिले मिलन और जुदाई भी इसी दौर में हुआ वंही लम्हों के इन सारे काल चक्रों में हमेशा सोचने और समझने की छमता मजबूत होती गई ,अब उन समस्याओं को अध्यन करने के बाद समाधान के रास्ते हमने निकाल लिए हैं ,अब अगले कुछ वर्षों में एक बड़ा बदलाव आपको दिखाई देगा। इसके लिए हमने प्रदेश भर के 59163 ग्रामपंचायतों को एक साथ जोड़ने वाली योजना पर काम शुरू कर दिया है।
13 वर्ष की उम्र में जब हम बचपन की दहलीज से निकल कर युवा वर्ग में शामिल होने जा रहे थे तो इन दिनों समाज में व्याप्त विसंगतियों एवं जिम्मेदार लोगों की गतिविधियों को देखने के बाद ऐसा लगता था कि समाज की बहुसंख्यक आबादी को अभी उचित नेतृत्व की आवश्यकता है ,लेकिन छोटी उम्र ने ज्ञान के अभाव का कारण बता कर हमे अगले वर्षों तक ऐसे ही समाज के दीन -हीन लोगों को देखकर चुप रहने के बंधन में बांध दिया परन्तु एकाग्रता की वजह से हमारा शोषित वर्ग की तरफ रुझान बढ़ता चला गया।
एक बड़े समुदाय की बदहाल -फटेहाल जिंदगी को देख कर सादे पन्ने पर उनकी कुंडली खोज ही रहा था कि इसी बीच लिखने और बोलने की शैली ने हमे पत्रकारिता की तरफ मोड़ दिया ।यंहा आने के बाद मेरे जेहन में यह विचार आया कि चलो यहीं से उस आबादी को समाज की मूल धारा में लाने की वकालत की जाए जो वर्षों से उपेक्षित हैं ,लेकिन न जाने क्यों अखबारों के पन्नों और चैनल के स्टूडियो से हमेशा हमारा मोह भंग ही रहा फिलहाल ऐसे ही पत्र -पत्रिकाओं और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखने का क्रम जारी रहा।
समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को अग्रिम पंक्ति में लाने की जिज्ञासा ने हमे गांव से लेकर मेट्रो शहर तक जोड़ दिया और देखते ही देखते हमने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र ,दिल्ली ,हरियाणा एवं बिहार के दर्जनों शहरों और सैकड़ों गांवों का चित्रण कर डाला ।
इस दौरान सोचने और समझने की क्षमता ने आगाह करते हुए बताया कि समाज को उचित नेतृत्व नही एक बड़ी नेतृत्व की जरूरत है, क्योंकि आजादी के 70 वर्षों में देश का बड़ा हिस्सा शिक्षा ,चिकित्सा ,रोजगार से वंचित है ,46 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है,55 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं ,19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं ,लगभग 4 लाख लोग भीख मांगते हैं ,आज भी 6 से 14 साल के 80 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल नही देखे ,सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और संसाधन अपर्याप्त हैं इसके अलावां जगह जगज भ्रष्टाचार व्याप्त है ।
अपने इस जीवन काल खण्डों में कई सारे मौसम देखे, कई उतार चढ़ाव आये, कई लोग मिले मिलन और जुदाई भी इसी दौर में हुआ वंही लम्हों के इन सारे काल चक्रों में हमेशा सोचने और समझने की छमता मजबूत होती गई ,अब उन समस्याओं को अध्यन करने के बाद समाधान के रास्ते हमने निकाल लिए हैं ,अब अगले कुछ वर्षों में एक बड़ा बदलाव आपको दिखाई देगा। इसके लिए हमने प्रदेश भर के 59163 ग्रामपंचायतों को एक साथ जोड़ने वाली योजना पर काम शुरू कर दिया है।