हमारा देश जहां एक ओर आधूनिक युग बन रहा है और न जाने कितने प्रकार के अविष्कार किये जा रहें हैं और देखा जाये तो फिर चाहें वो चिकत्सा से संबधित हो या फिर विज्ञान से संबधित हर ओर बस आधुनिकता का दौर दिखाई दे रहा है ।पर फिर भी हमारे देश में हिदुओं के प्रमुख त्योहार दीपावली में लोग अंधविश्वास को बढावा देते नजर आते हैं और फिर इसे अंधविश्वास ना कहे तो क्या कहे तंत्र मंत्र के जरिए सिद्धियों को हासिल करने एवं धन प्राप्ति के लिए इंसान क्या क्या नही कर देता है,यंहा तक कि आधुनिक युग में भी बेजुबानो का कत्ल करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं
जी हां तंत्र मंत्र के जरिए शक्ति हासिल करने के लिए कुछ ढोगीं लोग दीपावली के समय उल्लूओं को अपना निशाना बनाते हैं जिन की बलि चढ़ाकर सिद्धियां हासिल करने का दावा भी करते हैं ऐसे ही अंधविश्वास को ध्यान में रखते हुए दुधवा नेशनल पार्क मैं इन दिनों हाई अलर्ट जारी किया गया है यहां पर उल्लूओं की संख्या बहुतायत मात्रा में पाई जाती है इसलिए उनके जीवन की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दुधवा पार्क में अलर्ट घोषित किया गया है ।
दीपावली के नजदीक आते ही तमाम तरह की तैयारियां की जा रही है वही लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में उल्लूओं पर दीवाली में आफत देखी जा रही है।उल्लू को तस्करों से जान का खतरा है जिसको लेकर पार्क प्रशासन ने पूरे दुधवा नेशनल पार्क में अलर्ट घोषित कर दिया है। जैसे ही दीपावली करीब आती वैसे ही लखीमपुर खीरी के इंडो-नेपाल बॉडर पर 886 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा नेशनल पार्क के जंगलो में गश्त को बढ़ा दिया जाता है कारण है यहाँ उल्लू की पाई जाने वाली 12 प्रजातियां। उल्लू तस्कर जंगल मे अधिक सक्रिय हो जाते है और अंधविश्वास के चलते इनकी जान पर खतरा बढ़ जाता है।
लोगो मे मान्यता है कि लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू के बलि देने से लक्ष्मीजी की कृपा होती हैं और घरों में लक्ष्मी वास करती है यानी धन की वर्षा होती है।इसके अलावा तंत्र मंत्र में भी उल्लू का वध किया जाता है।इसी वजह से बड़े शहरों की बाजार में उल्लू की कीमत पाँच हजार से पचास हजार तक हो जाती है और अंधविश्वास के धंधे में तस्कर इन्हें बाजारों में पहुचाने का काम करते है।फिलहाल इसी खतरे को लेकर दुधवा में अलर्ट घोषित कर दिया गया है ।