विश्वपति वर्मा_
शहरों के नाम बदलने की फेहरिस्त में ऐसा लगता है कि सीएम योगी के पास जनता के हित मे काम करने के लिए कोई प्राथमिकता नही है ,बस ये भगवा धारी यही चाहते हैं कि जनता को किस तरहं से गुमराह रखने में सफलता प्राप्त हो।
1730 में जब नबाब सादत अली खान ने फैजाबाद शहर को बसाया था तब उन्हें यह नही पता था कि 21 वीं सदी में कोई भगवाधारी आएगा वह आस्था का प्रतीक मानते हुए फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर देगा।
सोचने वाली बात यह है कि सादत अली खान और उनके पोते आसफ उद दौला ने कभी भी ऐतिहासिक नामों के साथ कोई छेड़छाड़ नही किया ,बल्कि फैजाबाद जैसे शहरों को बसाने का काम किया जिसका अर्थ है "सबके कल्याण वाली जगह"
साथ ही अयोध्या में प्राचीन हनुमान मंदिर के देखभाल के लिए नबाब परिवार हर वर्ष खजाना खुला रखते थे, लेकिन आज एक ऐसा वक्त है जिसने सबके कल्याल की एक जगह बनाई अब वह जगह ही नही रहेगी।
इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम को जनता ही नही समझ पा रही है कि उसे जरूरत किस चीज की है तभी तो चोलाधारी मनमर्जी तरीके से जनता के ऊपर राज कर रहे हैं।जबकि प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को शिक्षा ,चिकित्सा ,रोजगार ,महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की खत्म करने जैसे मुद्दे पर काम करने की आवश्यकता है ।
देखा जाए तो ये नाम बदलने वाली सरकार या इसके मुख्यमंत्री पथभ्रष्ट हो गए हैं क्योंकि ये जितना रुपया शहर का नाम बदलने में खर्च कर रहे हैं उतना ही पैंसा खर्च करके एक नए अयोध्या या इलाहाबाद शहर को बसा सकते थे इससे पुराने शहरों का नाम भी बच जाता वंही प्राचीन शहरों को नए जिले के रूप में घोषित कर आधुनिक तरीके से स्थापित कर लिया जाता।
शहरों के नाम बदलने की फेहरिस्त में ऐसा लगता है कि सीएम योगी के पास जनता के हित मे काम करने के लिए कोई प्राथमिकता नही है ,बस ये भगवा धारी यही चाहते हैं कि जनता को किस तरहं से गुमराह रखने में सफलता प्राप्त हो।
1730 में जब नबाब सादत अली खान ने फैजाबाद शहर को बसाया था तब उन्हें यह नही पता था कि 21 वीं सदी में कोई भगवाधारी आएगा वह आस्था का प्रतीक मानते हुए फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर देगा।
सोचने वाली बात यह है कि सादत अली खान और उनके पोते आसफ उद दौला ने कभी भी ऐतिहासिक नामों के साथ कोई छेड़छाड़ नही किया ,बल्कि फैजाबाद जैसे शहरों को बसाने का काम किया जिसका अर्थ है "सबके कल्याण वाली जगह"
साथ ही अयोध्या में प्राचीन हनुमान मंदिर के देखभाल के लिए नबाब परिवार हर वर्ष खजाना खुला रखते थे, लेकिन आज एक ऐसा वक्त है जिसने सबके कल्याल की एक जगह बनाई अब वह जगह ही नही रहेगी।
इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम को जनता ही नही समझ पा रही है कि उसे जरूरत किस चीज की है तभी तो चोलाधारी मनमर्जी तरीके से जनता के ऊपर राज कर रहे हैं।जबकि प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को शिक्षा ,चिकित्सा ,रोजगार ,महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की खत्म करने जैसे मुद्दे पर काम करने की आवश्यकता है ।
देखा जाए तो ये नाम बदलने वाली सरकार या इसके मुख्यमंत्री पथभ्रष्ट हो गए हैं क्योंकि ये जितना रुपया शहर का नाम बदलने में खर्च कर रहे हैं उतना ही पैंसा खर्च करके एक नए अयोध्या या इलाहाबाद शहर को बसा सकते थे इससे पुराने शहरों का नाम भी बच जाता वंही प्राचीन शहरों को नए जिले के रूप में घोषित कर आधुनिक तरीके से स्थापित कर लिया जाता।