उमेश कुमार ,
शिक्षा व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जंहा पर भविष्य की संभावनाएं होती हैं जंहा से दुनियाभर के कोने कोने में संचालित व्यवस्था को समझने के लिए ज्ञान पैदा होता है ,जंहा से व्यापार एवं सेवा के क्षेत्र में निकलने वाले लोग किताबी ज्ञान अर्जित करते हैं ,यही वह संस्था है जंहा से नौनिहालों को जिस दिशा में चाहो उस दिशा में मोड़ कर उनके हालात एवं दशा को बदला जा सकता हैं ,लेकिन जब शैक्षणिक संस्थानों में फूहड़ गानों के बीच अध्यापक द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का लुफ्त उठाया जाये तो इन बच्चों को क्या सीख मिलेगी यह बताने के लिये शब्दों का चयन करने का तरीका मुझे नहीं पता है।
अब मुद्दे पर चलते हैं ,बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के अंतर्गत अजगैवा जंगल में स्थिति पूर्व माध्यमिक विद्यालय की स्थिति ठीक नहीं है ,पठन पाठन की व्यवस्था को ध्वस्त करके अध्यापकों का नेतागीरी के अलावां अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में कोई रूचि नहीं है , स्कूल की हालत यह है की बंद कमरे में होम थियटर लगा कर '' बद्री की दुल्हनिया '' के गाने पर बच्चियों एवं एक अन्य लड़की से डांस कराया जा रहा है।
यह पूरा वाकया तहकीकात समाचार प्रतिनिधि के कैमरे में तब कैद हुआ जब स्कूल के आठवीं क्लास के दरवाजे को बंद कर अध्यापक द्वारा बद्री की दुल्हनिया गाने पर एक लड़की से डांस करवाया जा रहा था ,लड़की कौन है यह पूछने पर अपने आप को एक अध्यापिका बता रही थी , वंही कमरे में मौजूद छात्राओं से भी गाने पर डांस कराया जा रहा था।
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