विश्वपति वर्मा_
देश में आम चुनाव आने वाला है ,सत्ताधारियों के अपने -अपने दावे हैं लेकिन धरातल पर आम आदमी सरकारी सिस्टम से हताश हो चुका है ,वह जगह- जगह भ्रष्टाचार के दलदल में फंस रहा है ,सरकारी योजनाओं की पंहुच उनसे दूर है ,अपात्रों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है क्या जिम्मेदार सच्चाई से वें रूबरू नही हैं?
घूसखोरी और कमीशनखोरी के कारण सड़कें बार-बार टूट रही हैं ,सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल बदहाल हैं, प्राइवेट स्कूल और हॉस्पिटल जनता को लूट रहे हैं, पंचायत के पैंसों में बंदरबांट जारी है ,तहसील पर जाने वाला हर व्यक्ति ठगा जा रहा है ,पुलिस की कार्यशैली किसी से छिपी नही है ,अधिकारी कर्मचारी बिना घूस लिए कोई काम कर नही रहे हैं,अवैध खनन और सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा जारी है, नकली आधार कार्ड और फर्जी राशन कार्ड बन रहे हैं, बेकसूर जेल जा रहे हैं और अपराधी जमानत पर छूट रहे हैं. जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, टैक्सचोरी, मानव तस्करी तथा न्याय में देरी और अदालत के गलत फैसले देने वाले मामले सामने आ रहे हैं ,अलगाववाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद, अवैध घुसपैठ और पत्थरबाजी पर कोई नियंत्रण नही है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया ।
उसके बाद भी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और क्षेत्रीय दलों के पार्टी नेता और जनप्रतिनिधियों में राष्ट्रवाद का खुमार चढ़ा है ।
देश में आम चुनाव आने वाला है ,सत्ताधारियों के अपने -अपने दावे हैं लेकिन धरातल पर आम आदमी सरकारी सिस्टम से हताश हो चुका है ,वह जगह- जगह भ्रष्टाचार के दलदल में फंस रहा है ,सरकारी योजनाओं की पंहुच उनसे दूर है ,अपात्रों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है क्या जिम्मेदार सच्चाई से वें रूबरू नही हैं?
घूसखोरी और कमीशनखोरी के कारण सड़कें बार-बार टूट रही हैं ,सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल बदहाल हैं, प्राइवेट स्कूल और हॉस्पिटल जनता को लूट रहे हैं, पंचायत के पैंसों में बंदरबांट जारी है ,तहसील पर जाने वाला हर व्यक्ति ठगा जा रहा है ,पुलिस की कार्यशैली किसी से छिपी नही है ,अधिकारी कर्मचारी बिना घूस लिए कोई काम कर नही रहे हैं,अवैध खनन और सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा जारी है, नकली आधार कार्ड और फर्जी राशन कार्ड बन रहे हैं, बेकसूर जेल जा रहे हैं और अपराधी जमानत पर छूट रहे हैं. जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, टैक्सचोरी, मानव तस्करी तथा न्याय में देरी और अदालत के गलत फैसले देने वाले मामले सामने आ रहे हैं ,अलगाववाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद, अवैध घुसपैठ और पत्थरबाजी पर कोई नियंत्रण नही है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया ।
उसके बाद भी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और क्षेत्रीय दलों के पार्टी नेता और जनप्रतिनिधियों में राष्ट्रवाद का खुमार चढ़ा है ।