विश्वपति वर्मा–
पूरे देश मे जंहा किसानो का बुरा हाल है वंही उत्तर प्रदेश मे गन्ना किसानो का भविष्य इस फसल से चौपट होता नजर आ रहा है चाहें महाराष्ट्र के मक्का किसानो की बात हो या फिर पo बंगाल के जूट किसानो की दशा हो या फिर आसाम के चाय उत्पाद करने वाले किसान हों इनके व्यक्तिगत आजीविका के जीवन मे लगातार अंधेरा ही हो रहा है।
उत्तर प्रदेश मे गेंहू,धान,सरसो के अलावा किसान गन्ना के फसल को भी बखूबी उपजाते हैं लेकिन गन्ना खरीदने वाली फ़ैक्टरियों द्वारा किसानो का लगातार शोषण किया जा रहा है जिसमे फसल का वाजिब दाम ना देना और बेंचे गये फसल का भुगतान समय से ना करना शामिल है ।
प्रदेश के बस्ती जनपद की बजाज ग्रूप की वाल्टरगंज चीनी मिल द्वारा अभी तक किसानो का 2015-16,17 में खरीदे गए फसल का भुगतान नही किया गया है उसके बावजूद मौजूदा सत्र में मिल न चलने से किसानो को बकाया भुगतान मिलने का कोई उम्मीद भी नही दिखाई दे रही है ।
एक तरफ गन्ने का भुगतान समय से नही हो रहा है तो दूसरी तरफ उचित मूल्य भी ना मिलना शर्मनाक है पिछले वर्षों में चीनी मिलों ने 271,266 ,290 रूपये प्रति 100 किलो के हिसाब से गन्ने की खरीद की थी लेकिन बढ़ती महंगाई और फसलों की लागत मूल्य के बढ़ने के बाद भी 2018-19 में 300 -310 रुपया प्रति कुंतल गन्ना खरीद का मूल्य निर्धारित किया तो किसानो के होश उड़ गये "मगर"किसान बेचारे आखिर करें भी तो क्या गन्ना बेंचना भी मजबूरी है ।
इस बार के पेराई सत्र खत्म होते होते गन्ना किसान ऐसी विनाशकारी फसल की बुवाई करने से कतराने लगे हैं आखिर क्यों?इस बात का जवाब कोई देने वाला नही है ,इसके बाद भी देश और प्रदेश की सरकारें किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही हैं ,बात समझ मे नही आ रही है कि किसानों की आय दोगुना कैसे होगा।
निश्चित तौर पर सरकार ऐसी स्थिति में किसानों की आय दोगुना करने में असफल रहेगी परन्तु सरकार की जिम्मेदारी बननी चाहिये कि किसानो का भुगतान एकसाथ और समय से करवाये ताकि किसान भी अपने बच्चे को उचित शिक्षा,चिकित्सा मुहैया करा सके ,और किसान भी दो वक्त की रोटी चैन से खा सके |
पूरे देश मे जंहा किसानो का बुरा हाल है वंही उत्तर प्रदेश मे गन्ना किसानो का भविष्य इस फसल से चौपट होता नजर आ रहा है चाहें महाराष्ट्र के मक्का किसानो की बात हो या फिर पo बंगाल के जूट किसानो की दशा हो या फिर आसाम के चाय उत्पाद करने वाले किसान हों इनके व्यक्तिगत आजीविका के जीवन मे लगातार अंधेरा ही हो रहा है।
उत्तर प्रदेश मे गेंहू,धान,सरसो के अलावा किसान गन्ना के फसल को भी बखूबी उपजाते हैं लेकिन गन्ना खरीदने वाली फ़ैक्टरियों द्वारा किसानो का लगातार शोषण किया जा रहा है जिसमे फसल का वाजिब दाम ना देना और बेंचे गये फसल का भुगतान समय से ना करना शामिल है ।
प्रदेश के बस्ती जनपद की बजाज ग्रूप की वाल्टरगंज चीनी मिल द्वारा अभी तक किसानो का 2015-16,17 में खरीदे गए फसल का भुगतान नही किया गया है उसके बावजूद मौजूदा सत्र में मिल न चलने से किसानो को बकाया भुगतान मिलने का कोई उम्मीद भी नही दिखाई दे रही है ।
एक तरफ गन्ने का भुगतान समय से नही हो रहा है तो दूसरी तरफ उचित मूल्य भी ना मिलना शर्मनाक है पिछले वर्षों में चीनी मिलों ने 271,266 ,290 रूपये प्रति 100 किलो के हिसाब से गन्ने की खरीद की थी लेकिन बढ़ती महंगाई और फसलों की लागत मूल्य के बढ़ने के बाद भी 2018-19 में 300 -310 रुपया प्रति कुंतल गन्ना खरीद का मूल्य निर्धारित किया तो किसानो के होश उड़ गये "मगर"किसान बेचारे आखिर करें भी तो क्या गन्ना बेंचना भी मजबूरी है ।
इस बार के पेराई सत्र खत्म होते होते गन्ना किसान ऐसी विनाशकारी फसल की बुवाई करने से कतराने लगे हैं आखिर क्यों?इस बात का जवाब कोई देने वाला नही है ,इसके बाद भी देश और प्रदेश की सरकारें किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही हैं ,बात समझ मे नही आ रही है कि किसानों की आय दोगुना कैसे होगा।
निश्चित तौर पर सरकार ऐसी स्थिति में किसानों की आय दोगुना करने में असफल रहेगी परन्तु सरकार की जिम्मेदारी बननी चाहिये कि किसानो का भुगतान एकसाथ और समय से करवाये ताकि किसान भी अपने बच्चे को उचित शिक्षा,चिकित्सा मुहैया करा सके ,और किसान भी दो वक्त की रोटी चैन से खा सके |