विश्वपति वर्मा_
पीएचडी की पढ़ाई करने वाले शरद पटेल का देश और देश के लोगों की प्रति एक अलग जीवन बन चुका है वें राजधानी लखनऊ में भीख मांगने वाले 100 से अधिक भिखारियों के जीवन मे बदलाव लाने के बाद अब उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का पाठ पढ़ा रहे हैं ।
शरद ने उन लोगों के जीवन मे बदलाव लाया है जो कुछ दिन पहले सड़कों पर भीख मांगते थे आज वें ई रिक्सा चलाने ,सब्जी बेंचने के साथ कई रोजगार के माध्यम से अपने ऊपर लगे कलंक को हटा रहे हैं ।
इतना सब करने के बाद शरद पटेल अब सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को भी आगे बढ़ा रहे हैं ,वें लोग जो भिक्षावृत्ति से मुक्त हुए हैं शरद के मार्गदर्शन में राजधानी लखनऊ के अंदर भरे पड़े गंदगियों को साफ कर उसे वास्तव में स्वच्छ भारत का इलाका बना रहे हैं ।
इन लोगों ने ठाना है कि हप्ते के एक दिन में श्रमदान कर सार्वजनिक जगहों की साफ सफाई की जाएगी शरद के इस मुहिम से आज लखनऊ के छठ पूजा घाट की तस्वीर बदल चुकी है जो कल तक कूड़े के ढेर एवं जलीय बनस्पतियों से भरा हुआ था।
देखा जाए तो ऐसी जगहों पर साफ सफाई के नाम पर शासन प्रशासन ने अकूत पैंसे खर्च किये लेकिन वँहा कोई बदलाव आज तक नही है लेकिन शरद के "बदलाव" संस्था के सहयोगियों द्वारा यंहा पर बदलाव होने लगा है।
पीएचडी की पढ़ाई करने वाले शरद पटेल का देश और देश के लोगों की प्रति एक अलग जीवन बन चुका है वें राजधानी लखनऊ में भीख मांगने वाले 100 से अधिक भिखारियों के जीवन मे बदलाव लाने के बाद अब उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का पाठ पढ़ा रहे हैं ।
शरद ने उन लोगों के जीवन मे बदलाव लाया है जो कुछ दिन पहले सड़कों पर भीख मांगते थे आज वें ई रिक्सा चलाने ,सब्जी बेंचने के साथ कई रोजगार के माध्यम से अपने ऊपर लगे कलंक को हटा रहे हैं ।
इतना सब करने के बाद शरद पटेल अब सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को भी आगे बढ़ा रहे हैं ,वें लोग जो भिक्षावृत्ति से मुक्त हुए हैं शरद के मार्गदर्शन में राजधानी लखनऊ के अंदर भरे पड़े गंदगियों को साफ कर उसे वास्तव में स्वच्छ भारत का इलाका बना रहे हैं ।
इन लोगों ने ठाना है कि हप्ते के एक दिन में श्रमदान कर सार्वजनिक जगहों की साफ सफाई की जाएगी शरद के इस मुहिम से आज लखनऊ के छठ पूजा घाट की तस्वीर बदल चुकी है जो कल तक कूड़े के ढेर एवं जलीय बनस्पतियों से भरा हुआ था।
देखा जाए तो ऐसी जगहों पर साफ सफाई के नाम पर शासन प्रशासन ने अकूत पैंसे खर्च किये लेकिन वँहा कोई बदलाव आज तक नही है लेकिन शरद के "बदलाव" संस्था के सहयोगियों द्वारा यंहा पर बदलाव होने लगा है।