बस्तीः (राकेश तिवारी) विगत 28 जनवरी को जीआईसी मैदान में बस्ती महोत्सव का उद्घाटन करने आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम का कवरेज करने जाते समय मीडिया दस्तक के संपादक अशोक श्रीवास्तव को पत्रकार दीर्घा से उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह ने वापस कर दिया। घटना के बाद निंदा और किरकिरी झेल रहे श्री सिंह को वाट्सएप ग्रुपों में सफाई देनी पड़ी। उन्होने तमाम कायदे कानून गिनाये और यह संदेश देने का प्रयास किया कि न्यूज पोर्टल या संवाद समितियां जो सूचीबद्ध नही है उससे जुड़े संवाददाता या संपादक पत्रकार नही हैं। दरअसल सूचना विभाग प्रशासन और मीडिया के बीच समन्वय स्थापित करने और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिये होता है।
या यूं कहें कि विभाग प्रशासन की आंख और कान होता है। लेकिन जब इस विभाग का अफसर चापलूस और बदतहजीब हो जाये तो मुश्किलें आनी तय है। इतना ही नही यह सर्वविदित है कि वीआईपी कार्यक्रमों में गलत लोगों को जाने से रोकने के लिये पास की व्यवस्था लागू की गयी है। पास पत्रकार की योग्यता नही तय उसकी सक्रियता तय करते हैं। तीन साल में मीडिया दस्तक करीब साढ़े ग्यारह लाख पाठकों के बीच है। यू ट्यूब पर साढ़े तीन लाख से ज्यादा दर्शक हैं। सक्रियता के लिये क्या यह काफी नही है। मुरलीधर के द्वारा ऐसे मौकों पर तमाम ऐसे लोगों को पास जारी किये जाते हैं जिनका अखबार दिखाई ही नही देता। दो दशक से पत्रकारिता कर रहे मीडिया दस्तक के संपादक अशोक श्रीवास्तव को अनेक अफसर, एलआईयू और स्वयं उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह अच्छी तरह जानते हैं। उनसे जुड़ी सूचनायें तथा कम्पनी एक्ट 2013 के तहत संवाद सेवाओं के लिये पंजीकृत मीडिया दस्तक के सर्टिफिकेट सूचना कार्यालय में जमा हैं।
ऐसे में स्वयं मुरलीधर सिंह द्वारा उन्हे रोका जाना हतप्रभ करने वाला है। यह बताना जरूरी है कि इससे पहले अनेकों अवसरों पर मीडिया दस्तक को सहजता से पास जारी होते रहे हैं। दूसरे राज्यों में भी मीडिया दस्तक को वीआईपी कार्यक्रमों के कवरेज के लिये पास जारी होते रहे हैं। उत्तराखण्ड से वेस्ट बंगाल और बिहार तक कहीं भी मीडिया दस्तक को कवरेज से रोके जाने की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा नही हुई। लेकिन वर्षों से सूचना विभाग में चौकड़ी मारकर बैठे उप सूचना निदेशक के अपने कायदे कानून हैं जिससे आये दिन पत्रकारों के स्वाभिमान चकनाचूर हो रहे हैं।
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14 फरवरी को उत्तराखण्ड के रूद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा थी। हालांकि खराब मौसम के कारण उनका कार्यक्रम रद हो गया और उन्होने फोन पर जनता को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का कवरेज करने के लिये उत्तराखण्ड हेड कुंदन शर्मा को पास जारी किया गया। इतना ही नही एक प्रशासनिक अधिकारी ने उन्हे अपने हाथों से पास दिया। निःसंदेह उत्तराखण्ड भारत का ही हिस्सा है, लेकिन वहां मुरलीधर सिंह जैसा सूचना अधिकारी नहीं है। उत्तराखण्ड में जारी पास शेयर करने के पीछे उद्देश्य है कि मुरलीधर इसे गौर से देख सकें, जिससे उनकी आंखों पर पड़ा अहंकार का परदा हटे और वे मीडिया का सम्मान करना सीख जायें।