विश्वपति वर्मा_
बड़े उम्मीद से मां बाप अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं कि वह स्कूल जाकर पढ़ लिख कर विद्धवान बनेगा ।और अपने ज्ञान के बदले देश दुनिया मे परचम लहराएगा लेकिन जब स्कूल की व्यवस्था ही ज्ञान -विज्ञान की दिशा में बच्चों को ले जाने वाली न हो तो जाहिर सी बात है कि उन मां बाप के सपने का सत्यानाश होना है जिन्होंने सरकारी व्यवस्था से बच्चों को शैक्षणिक योग्यता दिलाने की उम्मीद पाल रखी है।
आज देखा जाए तो वैसे भी प्रदेश भर की परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पूर्ण रूप से ध्वस्त पड़ी है लेकिन जब टूटी फूटी व्यवस्था स्थानीय जिम्मदारों के चलते और भी जर्जर हो जाये तो यह मान लिया जाएगा कि गरीब के बच्चों को अति गरीब बनाने के लिए यह सब प्रायोजित षणयंत्र है।
ये तस्वीर बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लॉक अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली की है जंहा पर रसोई तैयार करने के लिए दो बच्चे अलग अलग बाल्टी में पानी भर कर ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं ,एक बार दो बाल्टी पानी भर कर ये बच्चे अंदर की तरफ जाते हैं दुबारा फिर वें पानी भरने के लिए इंडिया मार्का हैंडपंप पर बाल्टी लेकर आते हैं और पानी भर कर ले जाते हुए दिखाई देते हैं।
इस बात से कोई समस्या नही है कि ये बच्चे पानी क्यों भर रहे हैं समस्या इस बात की है कि जिन मां बाप ने अपने बच्चों को स्कूल में शिक्षा लेने के लिए भेजा है क्या वँहा की व्यवस्था इतनी खराब है कि बच्चों को सफाई और रसोई का कार्य करना पड़ेगा।
अगर शासन के पास परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की हिम्मत नही है तो वह तत्काल प्रभाव से परिषदीय विद्यालयों में ताला लगवा दे क्योंकि पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ इस तरहं का शोषण होगा तो क्या वें अंतरिक्ष मे जाकर या खेल के मैदान से गोल्ड मैडल जीतकर लाएंगे ? नही.....वें पुलिस, दारोगा, डीएम ,एसपी से बात कर पाएंगे इसकी परवाह छोड़िए ऐसे में बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले चपरासी के बच्चे से बात भी नही कर पाएंगे।
बड़े उम्मीद से मां बाप अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं कि वह स्कूल जाकर पढ़ लिख कर विद्धवान बनेगा ।और अपने ज्ञान के बदले देश दुनिया मे परचम लहराएगा लेकिन जब स्कूल की व्यवस्था ही ज्ञान -विज्ञान की दिशा में बच्चों को ले जाने वाली न हो तो जाहिर सी बात है कि उन मां बाप के सपने का सत्यानाश होना है जिन्होंने सरकारी व्यवस्था से बच्चों को शैक्षणिक योग्यता दिलाने की उम्मीद पाल रखी है।
आज देखा जाए तो वैसे भी प्रदेश भर की परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पूर्ण रूप से ध्वस्त पड़ी है लेकिन जब टूटी फूटी व्यवस्था स्थानीय जिम्मदारों के चलते और भी जर्जर हो जाये तो यह मान लिया जाएगा कि गरीब के बच्चों को अति गरीब बनाने के लिए यह सब प्रायोजित षणयंत्र है।
ये तस्वीर बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लॉक अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली की है जंहा पर रसोई तैयार करने के लिए दो बच्चे अलग अलग बाल्टी में पानी भर कर ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं ,एक बार दो बाल्टी पानी भर कर ये बच्चे अंदर की तरफ जाते हैं दुबारा फिर वें पानी भरने के लिए इंडिया मार्का हैंडपंप पर बाल्टी लेकर आते हैं और पानी भर कर ले जाते हुए दिखाई देते हैं।
इस बात से कोई समस्या नही है कि ये बच्चे पानी क्यों भर रहे हैं समस्या इस बात की है कि जिन मां बाप ने अपने बच्चों को स्कूल में शिक्षा लेने के लिए भेजा है क्या वँहा की व्यवस्था इतनी खराब है कि बच्चों को सफाई और रसोई का कार्य करना पड़ेगा।
अगर शासन के पास परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की हिम्मत नही है तो वह तत्काल प्रभाव से परिषदीय विद्यालयों में ताला लगवा दे क्योंकि पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ इस तरहं का शोषण होगा तो क्या वें अंतरिक्ष मे जाकर या खेल के मैदान से गोल्ड मैडल जीतकर लाएंगे ? नही.....वें पुलिस, दारोगा, डीएम ,एसपी से बात कर पाएंगे इसकी परवाह छोड़िए ऐसे में बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले चपरासी के बच्चे से बात भी नही कर पाएंगे।