चुनाव में चाहे हार मिले या जीत, ओडिशा के श्यामबाबू सुबुधी के लिए यह मायने नहीं रखता है। चुनाव लड़ना उनका पसंदीदा शौक है और अब तक 28 चुनावों में हार का सामना करने के बाद 84 वर्षीय सुबुधी इस बार लोकसभा चुनावों में एक बार फिर से ताल ठोकने के लिए तैयार हैं।
वर्ष 1957 से ही चुनाव लड़ रहे श्यामबाबू सुबुधी अभी तक 10 बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। लोकसभा चुनावों में 9 बार किस्मत आजमा चुके सुबुधी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में गंजम जिले की दो सीटों- अस्का और बरहामपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
1957 में तत्कालीन मंत्री वृंदावन नायक के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने वाले सुबुधी ने कहा, 'मैंने मंत्री नायक के खिलाफ हिंजली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया था। तब मैं केवल 22 साल का ही था। मैंने 1962 से लोकसभा चुनाव लड़ना शुरू किया था। चुनाव लड़ना ही मेरा एकमात्र जुनून है। हार-जीत को भूलकर मेरे लिए चुनाव लड़ना ही मायने रखता है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन लोग मुझे अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुनेंगे।
पेशे से होमियोपैथी डॉक्टर श्यामबाबू सुबुधी अपनी अधिकतर कमाई को चुनाव में ही खर्च कर देते हैं। उन्होंने अभी से पर्चे बांटकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रचार शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया, 'मैंने दोनों ही क्षेत्रों में ज्यादातर जगहों पर प्रचार शुरू कर दिया है। मुझे चुनाव लड़ने के लिए पब्लिक की तरफ से भी फंड मिल जाता है।'
28 चुनाव हार चुके 29 वें चुनाव के लिए लोकसभा की दो सीटों पर कर रहे तैयारी
वर्ष 1957 से ही चुनाव लड़ रहे श्यामबाबू सुबुधी अभी तक 10 बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। लोकसभा चुनावों में 9 बार किस्मत आजमा चुके सुबुधी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में गंजम जिले की दो सीटों- अस्का और बरहामपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
1957 में तत्कालीन मंत्री वृंदावन नायक के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने वाले सुबुधी ने कहा, 'मैंने मंत्री नायक के खिलाफ हिंजली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया था। तब मैं केवल 22 साल का ही था। मैंने 1962 से लोकसभा चुनाव लड़ना शुरू किया था। चुनाव लड़ना ही मेरा एकमात्र जुनून है। हार-जीत को भूलकर मेरे लिए चुनाव लड़ना ही मायने रखता है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन लोग मुझे अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुनेंगे।
पेशे से होमियोपैथी डॉक्टर श्यामबाबू सुबुधी अपनी अधिकतर कमाई को चुनाव में ही खर्च कर देते हैं। उन्होंने अभी से पर्चे बांटकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रचार शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया, 'मैंने दोनों ही क्षेत्रों में ज्यादातर जगहों पर प्रचार शुरू कर दिया है। मुझे चुनाव लड़ने के लिए पब्लिक की तरफ से भी फंड मिल जाता है।'
28 चुनाव हार चुके 29 वें चुनाव के लिए लोकसभा की दो सीटों पर कर रहे तैयारी