देश के किसानों और युवाओं का भविष्य हाशिये पर ,उसके बाद भी नही पैदा हो रहा ज्ञान - तहक़ीकात समाचार

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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

देश के किसानों और युवाओं का भविष्य हाशिये पर ,उसके बाद भी नही पैदा हो रहा ज्ञान

विश्वपति वर्मा―

भारत युवाओं और किसानों का देश है सबसे पहले देश में किसान वर्ग आता है फिर इन्ही किसानों और पूजीबादी परिवारों में से युवा वर्ग निकल कर सामने आता है ,जिसमे से आईएस, पीसीएस, मास्टर, डॉक्टर, इंजिनियर, जवान ,चपरासी नेता आदि निकलते हैं ,इन सबका बचपन का सोच जिलाधिकारी बनने का ही होता है लेकिन 70%किसान परिवारों के बच्चे उचित शिक्षा के आभाव में सड़कों पर आ जाते हैं ,फिर एक जवान का पद छोड़ करके सभी पदों पर अधिकतम पूजीवादी परिवारों के बच्चे कब्ज़ा जमा लेते हैं ,बाद में यही पढ़ा लिखा व्यक्ति उनके सामने बौना साबित होता है

अब यंहा बचे लोगों को मल्टीनेशनल कंपनियों में 5 से 7 हजार रुपये की मासिक वेतन में नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है ,देखा जाये तो व्यक्ति किसी तरहं से अपने जीविका को चला तो लेता है लेकिन इसे अन्यान्य प्रकार की शोषणों का सामना करना पड़ता है ,इनके ऊपर आने वाली स्थिति फिर इनके आने वाली पीढ़ी पर पड़ जाती है क्योंकि यंहा फिर इनके बच्चे शिक्षा की बदहाल स्थिति को झेलते हुए सड़क पर आ जाते हैं फिर ये बहुसंख्यक आबादी दैनिक मजदूरी पर सिमट जाती है और यह नौजवान   दिहाड़ी और ठेका मजदूर के रूप में 12 से 14 घण्टे तक हड्डियां गलाती है  इस तरहं बड़ी आबादी को लगातार शोषण झेलना पड़ता है ,

फिर बचे कुचे लोग बाप की विरासत किसानी की तरफ चले जाते हैं और ये गेंहूँ ,धान, जौ, सरसो ,चना, अरहर ,गन्ना,आलू प्याज ,चाय आदि पैदा करते हैं लेकिन शर्मनाक बात यह है कि ये अपने खेत में पैदा किये हुए फसल पर मूल्य निर्धारित नहीं कर सकते  और इन्ही फसलों को टाटा, बिरला, अडानी और अंबानी जैसे उद्धोगपति खरीद कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य तय करते हैं

 और इनके यंहा ज्यादातर लोग श्रमिक के तौर पर काम करते हैं और ये वही लोग होते हैं जो उचित शिक्षा के आभाव में सरकारी नौकरी से वंचित हो जाते हैं  ,

होगा भी और क्या क्योंकि सरकार देश के सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी तो नहीं दे सकती !

परन्तु यंहा जरुरी यह है कि सरकार सबको नौकरी तो नहीं देगी लेकिन देश की प्राइवेट सेक्टरों में काम करने वालों के हित में कुछ ऐसा करेगी जंहा कंपनी इनके जीवन के प्रति गंभीर होकर उचित तनख्वाह एवं सुरक्षा प्रदान करे

और सरकार खुद यह काम करे कि देश के नागरिकों को भरतीय समाज में जीने के लिए एक समान सुबिधा दे

अगर सरकार यंहा ऐसा नहीं करती है तो यह सिद्ध होता है कि सरकार का चरित्र भी दोहरा है जो कहती कुछ और है करती कुछ और फिर यंहा वही सवाल पैदा होता है कि आप राजनीति में श्रेष्ठ भारत ,बेहतर समाज ,मजबूत लोकतंत्र की बात तो करते हैं लेकिन देश में अधिकांश लोग शिक्षा, चिकित्सा ,भोजन ,पानी आवास से वंचित क्यों हो जाते हैं ,या तो  सरकारें जानबूझ कर ऐसी स्थिति पैदा करती हैं या फिर इन मामलों में गम्भीर नहीं होती ।

अगर सरकार वास्तव में देश के समस्त लोगों के साथ काम कर रही है तो वह प्राथमिक तौर पर दो विन्दुओं पर सबसे पहले देश के लोगों को आजादी दे जंहा पर राष्ट्रपति का बेटा हो या किसान का संतान दोनों को शिक्षा एक साथ दिया जाये और किसानों के फसल पर खास करके मजदूर किसान के द्वारा पैदा किये गए फसल का वाजिब मूल्य मिले ताकि उसे अग्रणी समाज में आने का मौका मिले तब जाकर देश में अच्छा गांव ,अच्छा समाज एवं अच्छे भारत का निर्माण होगा एवं देश विश्वगुरु बनने के रास्ते पर चल पड़ेगा ।

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