विश्वपति वर्मा―
वैसे तो जिला अधिकारी राजशेखर जी आजकल चुनावी माहौल में व्यस्त हैं लेकिन उनके इसी व्यस्तता के बीच ईमानदारी के तमाम बड़े दावे पर भी सवाल खड़ा होता है।
राजशेखर जी के बारे में ईमानदारी के ढोल कई बार पीटे गए लेकिन हमें लगता है यंहा ढोल की पुरानी कहावत सिद्ध होती है जैसा कि कहा जाता है "दूर के ढोल सुहाने लगते हैं"
जनपद में क्रियांवित होने वाली कई योजनाएं ऐसी हैं जिसकी निगरानी पांवर डीएम के पास होता है लेकिन फिर वही सवाल यंहा उठता है कि क्या डीएम साहब अपने कर्तव्यों का निर्वहन नही करते?
बस्ती जनपद में कई स्थानों पर निर्मल नीर योजना के तहत पाइप लाइन पानी की टंकी का निर्माण हुआ है लेकिन 3-4 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक टंकियों से सप्लाई शुरू नही हो पाई है जिसमे पिटाउट ,गोरखर ,भिरियाँ जैसे गांवों में पानी जाना था वंही गौहनिया और पड़री में योजना की आधारशिला रखकर कार्यदायी संस्था फरार हो गई ।
सल्टौआ ब्लॉक के इंसेफेलाइटिस प्रभावित 27 ग्राम पंचायत में टीटीएसपी यानी कि छोटा पानी टंकी 2014 में लगाया गया लेकिन हमारी पड़ताल में महज सिसवारी ग्राम पंचायत का टंकी आज तक चल पाया है जबकि पूरे जनपद के सभी ब्लाकों में लगाये गए अधिकांश पानी की टंकी नही चल पाई है जिसमे रामनगर और सदर ब्लॉक में लगाये गए टँकी आज तक एक भी नही चल पाये
जनपद के सभी ग्राम पंचायतों में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में पुष्टाहार वितरण होने के लिए सरकार द्वारा आहार पैकेट और नगद धनराशि भेजी जाती है लेकिन एक तरफ जहां कुपोषण दूर करने वाले खाद्य सामग्री को गाय भैंस खा रहे हैं वंही 2018-19 में करोड़ो रूपये के नगद धनराशि को विभागीय मिलीभगत से चुपचाप डकार लिया गया।
पूरे देश मे स्वच्छ भारत मिशन चल रहा है वंही बस्ती में भी यह योजना चलाई जा रही है लेकिन डीएम साहब के आंखों के सामने बड़ा भ्रष्टाचार हो जाता है और डीएम साहब काले चश्मे के आड़ में सब कुछ देखकर दरकिनार कर देते हैं ऐसा मुझे लगता है।
स्पष्ट कर दूं कि जनपद के कचेहरी चौराहा, कंपनीबाग, गांधीनगर ,दक्षिण दरवाजा, रोडवेज, रेलवे स्टेशन ,सहित समस्त नगरपालिका क्षेत्र में महिला एवं पुरुष प्रसाधन बनाये गए हैं ,सभी प्रसाधन पर नगरपालिका द्वारा करोड़ो रुपया खर्च करके प्लास्टिक का प्रसाधन लाकर जाम कर दिया गया लिहाजा एक भी प्रसाधन में आप हल्का होने के लिए मत सोचिएगा नही तो पास के ही अस्पताल में आपको भर्ती कराने के लिए ले जाना पड़ेगा यानी कि उसमे जंहा गंदगियों का भरमार है वंही दरवाजे और पानी की व्यवस्था भी नदारद है।यह डीएम साहब की आंखों के सामने भ्रष्टाचार नही है तो और क्या है।
डीएम साहब जिस रास्ते से निकल कर नेशनल हाईवे पर गाड़ी का काफिला दौड़ाते हैं उसी रास्ते पर 20 लाख रुपया खर्च करके एक पर्यटन भवन बनाया गया है लेकिन दुर्भाग्य है देश का कि ईमानदारी की राग अलापने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के आंख के सामने इतने बड़े भ्रष्टाचार को दबा दिया जाता है जिसके चलते पर्यटन भवन बस्ती जनपद के लिए कलंक बना हुआ है।
इसी तरहं ऐसी तमाम विसंगति है जो जिलाधिकारी के एक फरमान के बाद वह अपने उद्देश्य की दिशा में बदल जाएगी लेकिन बात समझ मे नही आती कि आखिर जिम्मेदार लोग कर क्या रहे हैं।
बेहतर होता कि डीएम साहब सभी विभागीय अधिकारियों से जनपद में संचालित योजनाओं की फीडबैक लेते और 5 साल बीत जाने के बाद भी योजना का उद्देश्य से बाहर होने पर जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई करते तो हो सकता था कि उनकी छवि भी बची रहे और लोगों तक योजनाओं का लाभ भी पंहुच जाए।
वैसे तो जिला अधिकारी राजशेखर जी आजकल चुनावी माहौल में व्यस्त हैं लेकिन उनके इसी व्यस्तता के बीच ईमानदारी के तमाम बड़े दावे पर भी सवाल खड़ा होता है।
राजशेखर जी के बारे में ईमानदारी के ढोल कई बार पीटे गए लेकिन हमें लगता है यंहा ढोल की पुरानी कहावत सिद्ध होती है जैसा कि कहा जाता है "दूर के ढोल सुहाने लगते हैं"
जनपद में क्रियांवित होने वाली कई योजनाएं ऐसी हैं जिसकी निगरानी पांवर डीएम के पास होता है लेकिन फिर वही सवाल यंहा उठता है कि क्या डीएम साहब अपने कर्तव्यों का निर्वहन नही करते?
बस्ती जनपद में कई स्थानों पर निर्मल नीर योजना के तहत पाइप लाइन पानी की टंकी का निर्माण हुआ है लेकिन 3-4 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक टंकियों से सप्लाई शुरू नही हो पाई है जिसमे पिटाउट ,गोरखर ,भिरियाँ जैसे गांवों में पानी जाना था वंही गौहनिया और पड़री में योजना की आधारशिला रखकर कार्यदायी संस्था फरार हो गई ।
सल्टौआ ब्लॉक के इंसेफेलाइटिस प्रभावित 27 ग्राम पंचायत में टीटीएसपी यानी कि छोटा पानी टंकी 2014 में लगाया गया लेकिन हमारी पड़ताल में महज सिसवारी ग्राम पंचायत का टंकी आज तक चल पाया है जबकि पूरे जनपद के सभी ब्लाकों में लगाये गए अधिकांश पानी की टंकी नही चल पाई है जिसमे रामनगर और सदर ब्लॉक में लगाये गए टँकी आज तक एक भी नही चल पाये
जनपद के सभी ग्राम पंचायतों में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में पुष्टाहार वितरण होने के लिए सरकार द्वारा आहार पैकेट और नगद धनराशि भेजी जाती है लेकिन एक तरफ जहां कुपोषण दूर करने वाले खाद्य सामग्री को गाय भैंस खा रहे हैं वंही 2018-19 में करोड़ो रूपये के नगद धनराशि को विभागीय मिलीभगत से चुपचाप डकार लिया गया।
पूरे देश मे स्वच्छ भारत मिशन चल रहा है वंही बस्ती में भी यह योजना चलाई जा रही है लेकिन डीएम साहब के आंखों के सामने बड़ा भ्रष्टाचार हो जाता है और डीएम साहब काले चश्मे के आड़ में सब कुछ देखकर दरकिनार कर देते हैं ऐसा मुझे लगता है।
स्पष्ट कर दूं कि जनपद के कचेहरी चौराहा, कंपनीबाग, गांधीनगर ,दक्षिण दरवाजा, रोडवेज, रेलवे स्टेशन ,सहित समस्त नगरपालिका क्षेत्र में महिला एवं पुरुष प्रसाधन बनाये गए हैं ,सभी प्रसाधन पर नगरपालिका द्वारा करोड़ो रुपया खर्च करके प्लास्टिक का प्रसाधन लाकर जाम कर दिया गया लिहाजा एक भी प्रसाधन में आप हल्का होने के लिए मत सोचिएगा नही तो पास के ही अस्पताल में आपको भर्ती कराने के लिए ले जाना पड़ेगा यानी कि उसमे जंहा गंदगियों का भरमार है वंही दरवाजे और पानी की व्यवस्था भी नदारद है।यह डीएम साहब की आंखों के सामने भ्रष्टाचार नही है तो और क्या है।
डीएम साहब जिस रास्ते से निकल कर नेशनल हाईवे पर गाड़ी का काफिला दौड़ाते हैं उसी रास्ते पर 20 लाख रुपया खर्च करके एक पर्यटन भवन बनाया गया है लेकिन दुर्भाग्य है देश का कि ईमानदारी की राग अलापने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के आंख के सामने इतने बड़े भ्रष्टाचार को दबा दिया जाता है जिसके चलते पर्यटन भवन बस्ती जनपद के लिए कलंक बना हुआ है।
इसी तरहं ऐसी तमाम विसंगति है जो जिलाधिकारी के एक फरमान के बाद वह अपने उद्देश्य की दिशा में बदल जाएगी लेकिन बात समझ मे नही आती कि आखिर जिम्मेदार लोग कर क्या रहे हैं।
बेहतर होता कि डीएम साहब सभी विभागीय अधिकारियों से जनपद में संचालित योजनाओं की फीडबैक लेते और 5 साल बीत जाने के बाद भी योजना का उद्देश्य से बाहर होने पर जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई करते तो हो सकता था कि उनकी छवि भी बची रहे और लोगों तक योजनाओं का लाभ भी पंहुच जाए।