कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वाराणसी से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं.पहले यह कहा गया कि राहुल गांधी ने यह कह कर मना कर दिया कि बड़े नेताओं के खिलाफ गांधी परिवार के ना लड़ने की परंपरा नेहरू जी ने डाली थी और उसी का पालन किया जाना चाहिए. मगर क्या यही एक वजह है प्रियंका के वाराणसी से ना लड़ने की? तो ऐसा नहीं है, सूत्रों की मानें तो बीएसपी प्रमुख मायावती का प्रियंका की वाराणसी से उम्मीदवारी पर राजी ना होना है, कांग्रेस के रणनीतिकार लगातार मायावती के सलाहकारों से संपर्क में थे कि प्रियंका गांधी के वाराणसी में चुनाव लड़ने की हालत में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया जाए. इस बारे में समाजवादी से बात भी हो गई थी और अखिलेश यादव ने अपनी मूक सहमति भी दे दी थी. मगर इतना जरूर इशारा किया था कि यह सब मायावती जी के हां करने के बाद ही संभव हो सकता है. जब मायावती से संर्पक किया गया तो उन्होंने बाजी ही पलट दी. मायावती ने प्रियंका को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने से मना कर दिया. जानकारों का कहना है कि मायावती को लगा कि यदि प्रियंका बनारस से चुनाव लडती हैं तो इससे पुर्वांचल में कांग्रेस के पक्ष में एक माहौल बनेगा जिससे गठबंधन को नुकसान हो सकता है. मायावती यह जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं थी वो पहले ही साफ कह चुकी हैं कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह ही दुश्मन है.
हालांकि मायावती को समझाने की कोशिश भी की गई मगर वह नहीं मानी. इसके बाद कांग्रेस की महासचिव और पूर्वांचल की प्रभारी प्रियंका को वाराणसी से वापस लौटना पड़ा. यदि बनारस के गठबंधन की उम्मीदवार को देखें तो दिलचस्प बातें सामने आती हैं. गठबंधन ने शालिनी यादव को टिकट दिया है. शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद श्यामलाल यादव के परिवार से जुडी हैं. मेयर का चुनाव भी लड़कर हार चुकी हैं. यही नहीं शालिनी प्रियंका गांधी के गंगा यात्राके यात्रा के दौरान उनके साथ ही थीं. मगर जिस दिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा अखिलेश यादव ने उन्हें बनारस से गठबंधन का टिकट थमा दिया. बात ना बनते देख कांग्रेस ने फिर अजय राय को वाराणसी से उम्मीदवार बनायाndtv
हालांकि मायावती को समझाने की कोशिश भी की गई मगर वह नहीं मानी. इसके बाद कांग्रेस की महासचिव और पूर्वांचल की प्रभारी प्रियंका को वाराणसी से वापस लौटना पड़ा. यदि बनारस के गठबंधन की उम्मीदवार को देखें तो दिलचस्प बातें सामने आती हैं. गठबंधन ने शालिनी यादव को टिकट दिया है. शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद श्यामलाल यादव के परिवार से जुडी हैं. मेयर का चुनाव भी लड़कर हार चुकी हैं. यही नहीं शालिनी प्रियंका गांधी के गंगा यात्राके यात्रा के दौरान उनके साथ ही थीं. मगर जिस दिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा अखिलेश यादव ने उन्हें बनारस से गठबंधन का टिकट थमा दिया. बात ना बनते देख कांग्रेस ने फिर अजय राय को वाराणसी से उम्मीदवार बनायाndtv