सफेद झूठ बोलने में माहिर हैं पीएम,1988 में डिजिटल कैमरा था ही नही तो मोदी ने कैसे खींचा फ़ोटो - तहक़ीकात समाचार

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सोमवार, 13 मई 2019

सफेद झूठ बोलने में माहिर हैं पीएम,1988 में डिजिटल कैमरा था ही नही तो मोदी ने कैसे खींचा फ़ोटो


अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपनी अध्यक्षता के दौरान  ईमेल भेजने वाले पहले राष्ट्रपति बने थे. उन्होंने 7 नवंबर, 1998 को अंतरिक्ष यात्री जॉन ग्लेन को ये ऐतिहासिक ई-मेल भेजा था तो एक बड़ा सवाल पैदा होता है कि 1988 में यानी 10 साल पहले पीएम मोदी ने मेल किसको भेजा

1988 में प्रथम बार JPEG और MPEG स्टैंडर्ड फॉर्मेट के कैमरे की निर्माण के वजह से डिजिटल फॉर्मेट की कैमरे रचना संभव हुई थी लेकिन बाजार में 1988 में डिजिटल कैमरा लांच नही किया गया था ।

ठोस जानकारी के आधार पर हमने पता लगाया है कि पीएम मोदी द्वारा 1988 में डिजिटल कैमरे से फोटो खींच कर मेल से भेजे जाने की बात झूठी है ।

सबसे पहला एनालॉग कैमरा, कैनन RC-250 ज़ैपशॉट  हो सकता है जो 1988 में विपणन के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचा। उस वर्ष निकोन QV-1000C नामक एक उल्लेखनीय एनालॉग कैमरे का उत्पादन हुआ जिसे एक प्रेस कैमरे के रूप में डिजाइन किया गया था वंही डिजिटल कैमरे की बात करें तो यह 1990 में पहली बार लांच किया गया था।

अब यह सवाल पैदा होता है कि मोदी जी को वह डिजिटल कैमरा कंहा से और कैसे मिला जिससे वें 1988 में फोटों खींच कर मेल किये थे।

अब दूसरा सवाल यह है कि 1988 में मोदी जी का मेल आईडी क्या था ? जानकारी के अनुसार मेल का इस्तेमाल तो इस वर्ष में किया जाता था लेकिन भारत मे इसकी चलन 1995 है इसके अलावां यदि 1995 के पहले भारत मे मेल का इस्तेमाल होता था तो कुछ बड़े वैज्ञानिक ही इसका इस्तेमाल करते थे।

अब सोच लो कि पीएम मोदी किस तरहं से सफेद झूठ बोलने में माहिर हैं।

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