गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत सभी केंद्रीय मंत्रियों ने शपथ ली। चुने गए मंत्रियों मे एक नाम ऐसा भी है जिसके सामने आते ही तालियों की गडगडाहट बढती चली गई। प्रताप चन्द्र सारंगी का नाम सोशल मीडिया पर तेज़ी से फ़ैल रहा है। इससे पहले ओडिशा से बाहर शायद ही प्रताप चन्द्र को कोई जानता होगा।
प्रताप चन्द्र सारंगी ओडिशा के बालासोर से सांसद चुने गए हैं। वहां उनकी टक्कर बीजेडी एमपी रबिन्द्र कुमार जेना और ओडिशा समिति अध्यक्ष निरंजन पटनायक के बेटे नवज्योति पटनायक से थी। सारंगी नीलगिरी से दो बार (2004 और 2009) विधायक चुने जा चुके हैं। अक्टूबर 2014 से जनवरी 2015 तक सारंगी ने राज्य मे बीजेपी उपाध्यक्ष का पद संभाला। वे ओडिशा विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त सचिव भी रहे।
संसद मे अपनी एंट्री से सारंगी करोड़ों देशवासियों का दिल जीतने मे कामयाब हुए। लेकिन उनकी नई लोकप्रियता के बावजूद, सारंगी का एक विचित्र अतीत है। ह्यूमन राईट वाच की रिपोर्ट के अनुसार साल 1998-99 के दौरान देशभर के कई हिस्सों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, हरयाणा, कर्नाटक, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली मे ईसाई विरोधी गतिविधियों ने जन्म लिया। इनमें से ज्यादातर राज्य बीजेपी शासन से मुक्त थे परंतु यहां संघ परिवार का मजबूत नेटवर्क स्थापित था।
साल 1999 में एक हिन्दू भीड़ ने ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों को बेरहमी से मार डाला।उस दौरान प्रताप चन्द्र सारंगी हिंदूवादी संगठन बजरंग दल के नेता हुआ करते थे। ग्राहम ओडिशा में कुष्ठ रोगियों के लिए काम किया करते थे। मामले की जांच के लिए वाधवा कमिटी का गठन किया गया। सीबीआई, उड़ीसा पुलिस की अपराध शाखा, और वाधवा कमिटी सभी ने निष्कर्ष निकाले कि स्टेंस ग्राहम की हत्या के पीछे आदिवासियों का धर्मांतरण एक प्रेरक कारण था। पुलिस ने 49 बजरंग दल सदस्यों समेत भीड़ का नेतृत्व कर रहे बजरंग दल कार्यकर्ता दारा सिंह की गिरफ्तारी की थी।
एक लंबे मुकदमे के बाद, 2003 मे दारा सिंह और 12 अन्य लोगों को दोषी ठहराया गया था। लेकिन उड़ीसा के उच्च न्यायालय ने दो साल बाद सिंह को मौत की सजा सुनाई। मारपीट, आगजनी, मारपीट और हिन्दू राइट विंग संगठनों जिनमे बजरंग दल शामिल था द्वारा उड़ीसा राज्य विधानसभा पर 2002 के हमले के बाद सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए सारंगी की गिरफ्तारी की गई।
सारंगी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। गोदी मीडिया उनकी छवि को साफ़ और साधारण बता रहा है।गुरूवार को मंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनके समर्थक मिठाई बांटते देखे गए। यहाँ तक की उन्हें ओडिशा का ‘मोदी’ कहा जा रहा है। अपने चुनावी क्षेत्र मे सारंगी साइकिल से प्रचार करते थे। विधानसभा साइकिल से जाया करते थे। पहले चाय वाला मोदी और अब साइकिल वाला मोदी।
लेकिन सारंगी के आठ अप्रैल 2019 के शपथपत्र के अनुसार उनके खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना और दंगा, धार्मिक भावनाएं भड़काने आदि के मामले शामिल हैं। हालांकि शपथपत्र के मुताबिक उन्हें किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है। यहीं ताकत है गोदी मीडिया की जो अपराधियों को जनता का हीरो बना देता है।
प्रताप चन्द्र सारंगी ओडिशा के बालासोर से सांसद चुने गए हैं। वहां उनकी टक्कर बीजेडी एमपी रबिन्द्र कुमार जेना और ओडिशा समिति अध्यक्ष निरंजन पटनायक के बेटे नवज्योति पटनायक से थी। सारंगी नीलगिरी से दो बार (2004 और 2009) विधायक चुने जा चुके हैं। अक्टूबर 2014 से जनवरी 2015 तक सारंगी ने राज्य मे बीजेपी उपाध्यक्ष का पद संभाला। वे ओडिशा विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त सचिव भी रहे।
संसद मे अपनी एंट्री से सारंगी करोड़ों देशवासियों का दिल जीतने मे कामयाब हुए। लेकिन उनकी नई लोकप्रियता के बावजूद, सारंगी का एक विचित्र अतीत है। ह्यूमन राईट वाच की रिपोर्ट के अनुसार साल 1998-99 के दौरान देशभर के कई हिस्सों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, हरयाणा, कर्नाटक, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली मे ईसाई विरोधी गतिविधियों ने जन्म लिया। इनमें से ज्यादातर राज्य बीजेपी शासन से मुक्त थे परंतु यहां संघ परिवार का मजबूत नेटवर्क स्थापित था।
साल 1999 में एक हिन्दू भीड़ ने ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों को बेरहमी से मार डाला।उस दौरान प्रताप चन्द्र सारंगी हिंदूवादी संगठन बजरंग दल के नेता हुआ करते थे। ग्राहम ओडिशा में कुष्ठ रोगियों के लिए काम किया करते थे। मामले की जांच के लिए वाधवा कमिटी का गठन किया गया। सीबीआई, उड़ीसा पुलिस की अपराध शाखा, और वाधवा कमिटी सभी ने निष्कर्ष निकाले कि स्टेंस ग्राहम की हत्या के पीछे आदिवासियों का धर्मांतरण एक प्रेरक कारण था। पुलिस ने 49 बजरंग दल सदस्यों समेत भीड़ का नेतृत्व कर रहे बजरंग दल कार्यकर्ता दारा सिंह की गिरफ्तारी की थी।
एक लंबे मुकदमे के बाद, 2003 मे दारा सिंह और 12 अन्य लोगों को दोषी ठहराया गया था। लेकिन उड़ीसा के उच्च न्यायालय ने दो साल बाद सिंह को मौत की सजा सुनाई। मारपीट, आगजनी, मारपीट और हिन्दू राइट विंग संगठनों जिनमे बजरंग दल शामिल था द्वारा उड़ीसा राज्य विधानसभा पर 2002 के हमले के बाद सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए सारंगी की गिरफ्तारी की गई।
सारंगी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। गोदी मीडिया उनकी छवि को साफ़ और साधारण बता रहा है।गुरूवार को मंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनके समर्थक मिठाई बांटते देखे गए। यहाँ तक की उन्हें ओडिशा का ‘मोदी’ कहा जा रहा है। अपने चुनावी क्षेत्र मे सारंगी साइकिल से प्रचार करते थे। विधानसभा साइकिल से जाया करते थे। पहले चाय वाला मोदी और अब साइकिल वाला मोदी।
लेकिन सारंगी के आठ अप्रैल 2019 के शपथपत्र के अनुसार उनके खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना और दंगा, धार्मिक भावनाएं भड़काने आदि के मामले शामिल हैं। हालांकि शपथपत्र के मुताबिक उन्हें किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है। यहीं ताकत है गोदी मीडिया की जो अपराधियों को जनता का हीरो बना देता है।