विश्वपति वर्मा_
हम वो लोग हैं जो अपनी कलम के ताकत पर समय समय पर सत्ता में बैठे सियारों को बताते रहते हैं कि नील में रंगने वाले सियार की तरहं शेर बनकर जंगल का राजा बनने की कोशिश न करें ,अपनी कलम के दम पर सत्ता के उन तमाम देशविरोधी ताकतों को नष्ट करने के लिए आवाज उठाते रहते हैं ताकि समाज के एक बड़ी आबादी को मिलने वाली हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके ।
देखने को मिल रहा है कि आज समाज मे सही बात की तुलनात्मक अध्ययन करने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है आज ऐसे लोग समाज की बागडोर संभालने की वकालत करते हैं जिनकी सोचने और समझने की क्षमता शून्य हो चुकी है ।
खैर हम इन सबकी चिंता नही करते हैं क्योंकि मुझे पता है कि भगत सिंह जैसे लोग देश को आजादी दिलाने के लिए अपने आपको बलिदान की सूली पर चढ़ गए ,जब भगत सिंह को फांसी दिया जा रहा था तब देश की 30 करोड़ आबादी चाहती तो अंग्रेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा कर चारो क्रांतिकारियों को अपने कब्जे में कर लेती लेकिन आज की तरहं तब भी जाहिल और निकम्मे लोग थे जो मौजूदा सरकार की गलत नीतियों का समर्थन करते थे।
तो कहना यह है कि हम जैसे देश भर के 2 करोड़ से अधिक लोग उन सभी सरकारों की गोलबंद नीतियों का विरोध करते रहेंगे जो 543 सदस्यों के दम पर देश के किसानों और बेरोजगारों की समस्या को दरकिनार कर कारपोरेट घरानों के लिए काम करने के लिए सर झुकाए खड़े हुए हैं।
हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता ऐसे ही चलती रहेगी ,सरकार की आलोचना पहले से भी तेज होगी क्योंकि जो लोग फेसबुक पर चिल्ला रहे हैं कि कुछ तुम्हारे बोलने का नतीजा क्या रहा उन्हें पता होना चाहिए कि हम लोग चापलूसपसन्द लोग नही हैं।हम लोगों के लिखने और बोलने की वजह से ही बहुसंख्यक आबादी को लाभ मिल जाता है।इस कलम से किसको क्या फायदा मिलता है यह हमें पता है क्योंकि यह कलम हमारी है इसके धार का असर हमे मालूम है।
हम वो लोग हैं जो अपनी कलम के ताकत पर समय समय पर सत्ता में बैठे सियारों को बताते रहते हैं कि नील में रंगने वाले सियार की तरहं शेर बनकर जंगल का राजा बनने की कोशिश न करें ,अपनी कलम के दम पर सत्ता के उन तमाम देशविरोधी ताकतों को नष्ट करने के लिए आवाज उठाते रहते हैं ताकि समाज के एक बड़ी आबादी को मिलने वाली हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके ।
देखने को मिल रहा है कि आज समाज मे सही बात की तुलनात्मक अध्ययन करने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है आज ऐसे लोग समाज की बागडोर संभालने की वकालत करते हैं जिनकी सोचने और समझने की क्षमता शून्य हो चुकी है ।
खैर हम इन सबकी चिंता नही करते हैं क्योंकि मुझे पता है कि भगत सिंह जैसे लोग देश को आजादी दिलाने के लिए अपने आपको बलिदान की सूली पर चढ़ गए ,जब भगत सिंह को फांसी दिया जा रहा था तब देश की 30 करोड़ आबादी चाहती तो अंग्रेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा कर चारो क्रांतिकारियों को अपने कब्जे में कर लेती लेकिन आज की तरहं तब भी जाहिल और निकम्मे लोग थे जो मौजूदा सरकार की गलत नीतियों का समर्थन करते थे।
तो कहना यह है कि हम जैसे देश भर के 2 करोड़ से अधिक लोग उन सभी सरकारों की गोलबंद नीतियों का विरोध करते रहेंगे जो 543 सदस्यों के दम पर देश के किसानों और बेरोजगारों की समस्या को दरकिनार कर कारपोरेट घरानों के लिए काम करने के लिए सर झुकाए खड़े हुए हैं।
हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता ऐसे ही चलती रहेगी ,सरकार की आलोचना पहले से भी तेज होगी क्योंकि जो लोग फेसबुक पर चिल्ला रहे हैं कि कुछ तुम्हारे बोलने का नतीजा क्या रहा उन्हें पता होना चाहिए कि हम लोग चापलूसपसन्द लोग नही हैं।हम लोगों के लिखने और बोलने की वजह से ही बहुसंख्यक आबादी को लाभ मिल जाता है।इस कलम से किसको क्या फायदा मिलता है यह हमें पता है क्योंकि यह कलम हमारी है इसके धार का असर हमे मालूम है।