छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला क्षेत्र में एक पहाड़ी का खनन किए जाने का आदिवासी विरोध कर रहे हैं. इलाके के आदिवासियों की मान्यता है कि इस पहाड़ी में उनके इष्ट देवता की पत्नी विराजमान हैं.
दरअसल, इस पहाड़ी में लौह अयस्क का भंडार है.माओवादियों ने भी आदिवासियों के विरोध और आंदोलन का समर्थन किया है तथा इस संबंध में बैनर, पोस्टर लगाया है.दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी शुक्रवार तड़के से किरंदुल थाना क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के खदान के सामने धरने पर बैठे हुए हैं.
आदिवासियों ने दावा किया कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने ‘डिपाजिट 13’ अडानी समूह को सौंप दिया है. जबकि इस पहाड़ में उनके इष्ट देवता प्राकृतिक गुरु नंदराज की धर्म पत्नी पितोड़ रानी विराजमान हैं.
पंचायत समिति के बैनर तले किया धरना प्रदर्शन में लगभग 2000 की संख्या में बैलाडीला क्षेत्र में विरोध कर रहे आदिवासियों के प्रमुख मंगल कुंजाम ने कहा, ‘13 नंबर की पहाड़ी अडानी समूह को दी की गई है. वह पहाड़ी पूर्ण रूप से आदिवासियों के लिए आस्था का केंद्र है. इसमें प्राकृतिक शक्ति विराजमान है. यहां खनन नहीं करने दिया जाएगा.’वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय नेता नंदाराम सोरी ने कहा, ‘एनएमडीसी ने 13 नंबर डिपॉजिट अडानी को सौंपा है. लेकिन हम इसका विरोध कर रहे हैं. इस पहाड़ी से आदिवासियों की आस्था जुड़ी हुई है.’
आदिवासियों के आंदोलन को देखते हुए क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है तथा एनएमडीसी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने कहा, ‘इस विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं ली गई है. हालांकि, लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है. अगर प्रदर्शनकारी कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, तब उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल क्षेत्र के अंतर्गत बैलाडीला के डिपोजिट 13 में लौह अयस्क का भंडार है. इसे एक संयुक्त उद्यम कंपनी एनसीएल के तहत विकसित किया जा रहा है.
एनसीएल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीएस प्रभाकर ने कहा है कि खनन गतिविधियों से आदिवासियों के पवित्र स्थान को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर ट्वीट कर कहा, ‘मैंने अधिकारियों से कहा है कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों को उनके हक़ की जमीन सौंप देनी चाहिए. उन्होंने सदियों से जंगल को बचाकर रखा है. वे जंगल को बचा सकते हैं आप नहीं.’साथ ही ये भी आरोप लगाया है कि वनाधिकार कानून को पिछले 13 सालों में ठीक से लागू नहीं किया गया.पत्रिका में छपी खबर के मुताबिक वन विभाग ने साल 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया था, जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था. इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था. लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज पर हस्तांतरित कर दिया गया.
डिपॉजिट-13 में 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने की जानकारी है, जिसमें 65 से 70 फीसदी आयरन की मात्रा है.आदिवासियों के आंदोलन को समर्थन करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी भी धरना स्थल पर पहुंचे. जोगी ने कहा, ‘आबकारी मंत्री कवासी लखमा चाहे तो सरकार से बात कर केंद्र सरकार के जरिए एक घंटे में मामला खत्म कर सकते हैं.