लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने नए भारत की बात की. पीएम मोदी ने सभी सांसदों को चर्चा को सार्थक बनाने के लिए भी आभार जताया. पीएम मोदी ने कहा कि हम हर बाधा को पार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कई दशकों के बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है. एक सरकार को दोबारा फिर से लाए हैं. पहले से अधिक शक्ति लेकर लाए हैं. आज के सामान्य वातावरण में भारत जैसे वायब्रेंट डेमोक्रेसी में हर भारतीय के लिए गौरव का विषय है कि हमारा मतदाता कितना जागरूक है. वह अपने से ज्यादा अपने देश को कितना प्यार करता है. इस चुनाव में साफ-साफ नजर आया है. इसलिए देश के मतदाता अनेक-अनेक अभिनंदन के आभारी हैं, अभिनंदन के पात्र हैं. पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि जिसका कोई नहीं होता उसका सरकार होता है.
पीएम मोदी ने कहा कि 2019 का जनादेश पूरी तरह कसौटी पर कसने के बाद, हर तराजू पर तोले जाने के बाद, पल-पल को जनता ने जांचा है और तब जाकर दोबारा मौका दिया है. उन्होंने कहा कि हर किसी के लिए इस विजय को सरकार के पांच साल के कठोर परिश्रम, पूर्ण समर्पण और सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय जैसी नीतियों को लागू करने का सफल प्रयास को लोगों ने फिर से एक बार देश की सेवा करने के लिए दोबारा बिठाया है. जीवन में इससे बड़ा कोई संतोष नहीं होता है, जब जनता आपके काम को अनुमोदित करती है. ये सब चुनाव की जीत और हार का खेल नहीं है, ये जीवन की उस आस्था का खेल है, जहां कमिटमेंट क्या होता है, डेडिकेशन क्या होता है. पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में जब देश की जनता ने अवसर दिया. पहली बार मुझे वक्तत्वय देने का मौका मिला था और सहज भाव से मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है.
पीएम मोदी ने कहा कि चर्चा की शुरुआत में पहली बार सदन में आए डॉ. प्रताप सारंगी जी और आदिवासी समाज से आईं हमारी बहन हिना गावित जी ने जिस प्रकार से विषय को प्रस्तुत किया और जिस बारीकी से बातों को रखा, तो मैं समझता हूं कि मैं कुछ भी न बोलूं तो भी चलेगा. उन्होंने कहा कि ये कोई जीत या हार का प्रश्न नहीं है. ये जीवन की उस आस्था का विषय है, जहां कमिटमेंट क्या होता, डेडिकेशन क्या है, जनता के लिए जीना-जूझना-खपना क्या होता है. और जब पांच साल की अविरत तपस्या का संतोष मिलता है तो वो एक अध्यात्म की अनुभूति करता है.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि 70 साल से चली आ रही बीमारियों को दूर करने के लिए हमने सही दिशा पकड़ी और काफी कठिनाइयों के बाद भी उसी दिशा में चलते रहे. हम उस मकसद पर चलते रहे और ये देश दूध का दूध पानी का पानी कर सकता है ये सबने देखा. पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि यहां कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता, ऐसी गलती हम नहीं करते. हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि 2019 का जनादेश पूरी तरह कसौटी पर कसने के बाद, हर तराजू पर तोले जाने के बाद, पल-पल को जनता ने जांचा है और तब जाकर दोबारा मौका दिया है. उन्होंने कहा कि हर किसी के लिए इस विजय को सरकार के पांच साल के कठोर परिश्रम, पूर्ण समर्पण और सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय जैसी नीतियों को लागू करने का सफल प्रयास को लोगों ने फिर से एक बार देश की सेवा करने के लिए दोबारा बिठाया है. जीवन में इससे बड़ा कोई संतोष नहीं होता है, जब जनता आपके काम को अनुमोदित करती है. ये सब चुनाव की जीत और हार का खेल नहीं है, ये जीवन की उस आस्था का खेल है, जहां कमिटमेंट क्या होता है, डेडिकेशन क्या होता है. पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में जब देश की जनता ने अवसर दिया. पहली बार मुझे वक्तत्वय देने का मौका मिला था और सहज भाव से मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है.
पीएम मोदी ने कहा कि चर्चा की शुरुआत में पहली बार सदन में आए डॉ. प्रताप सारंगी जी और आदिवासी समाज से आईं हमारी बहन हिना गावित जी ने जिस प्रकार से विषय को प्रस्तुत किया और जिस बारीकी से बातों को रखा, तो मैं समझता हूं कि मैं कुछ भी न बोलूं तो भी चलेगा. उन्होंने कहा कि ये कोई जीत या हार का प्रश्न नहीं है. ये जीवन की उस आस्था का विषय है, जहां कमिटमेंट क्या होता, डेडिकेशन क्या है, जनता के लिए जीना-जूझना-खपना क्या होता है. और जब पांच साल की अविरत तपस्या का संतोष मिलता है तो वो एक अध्यात्म की अनुभूति करता है.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि 70 साल से चली आ रही बीमारियों को दूर करने के लिए हमने सही दिशा पकड़ी और काफी कठिनाइयों के बाद भी उसी दिशा में चलते रहे. हम उस मकसद पर चलते रहे और ये देश दूध का दूध पानी का पानी कर सकता है ये सबने देखा. पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि यहां कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता, ऐसी गलती हम नहीं करते. हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं.