मित्रों नमस्कार,
आप लोगों के बीच मे पिछले 10 वर्षों से समय देते हुए हमने समाज के वंचित वर्ग के लिए निःस्वार्थ काम किया जिसमें मुख्य रूप से शिक्षा, चिकित्सा की बदहाल व्यवस्था ,अधिकारी-कर्मचारी की उदासीनता ,ब्लॉक से संचालित योजनाओं में व्याप्त भ्रस्टाचार पर नियंत्रण के लिए तमाम ज्ञापन ,धरना प्रदर्शन, आंदोलन करने के साथ पत्रकारिता के माध्यम से सरकारी तंत्र में सुधार की मांग करते रहे।
यह सब करने से किसी को बहुत बड़ा फायदा तो नही मिल पाता है लेकिन एक बहुत बड़े वंचित वर्ग को इन सबका लाभ मिलता है । लेकिन देखने को मिला है कि हम जिसके लिए आवाज बुलंद करते हैं वह खुद अभी निर्णय नही ले पा रहा है कि उसे किसका साथ देना चाहिए।
फिलहाल इस बात की चिंता नही है क्योंकि मुझे पता है कि लोगों में जागरूकता की कमी ,डर और भय का माहौल के साथ अज्ञानता है इस लिए वें निडर होकर सामने नही आ पाते ।
लेकिन स्पष्ट करना चाहता हूं कि समाज के वंचित वर्ग की आवाज को हमेशा बुलंद किया जाएगा ,बशर्ते अब धरना प्रदर्शन और आंदोलन न करके मात्र पत्रकारिता के माध्यम से उनकी आवाज बुलंद की जाएगी क्योंकि धरना प्रदर्शन और आंदोलन के लिए लोगों तक अपनी विचार पंहुचाने और उन्हें जोड़ने के लिए हमारे पास अब वह समय नही है जो मैं पिछले 10 वर्षों से देता रहा हूँ क्योंकि हम राजधानी लखनऊ में एक छोटे से प्रतिष्ठान की देख रेख में व्यस्त हो सकता हूँ।
यह सब करने का उद्देश्य यही रहा है कि हम अपनी निजी आय से निष्पक्ष लेखनी को धार प्रदान कर सकूं क्योंकि मैं पत्रकारिता के मूल्यों को दफन कर अपनी जीविका के लिए अवसर नही तलाश सकता हूँ।
एक और बात यह है कि ,हो सकता है हम हर वंचित वर्ग के लिए अपना समय न दे पाएं इस लिए हमने तय किया है कि हम अपनी आय का 15 फीसदी हिस्सा जागरूकता अभियान एवं असहाय बच्चों की शिक्षा पर खर्च करूंगा ताकि समाज के दबे कुचले लोगों के बेटे-बेटियों को अग्रिम पंक्ति में लाने का सपना पूरा हो सके।
आप लोगों के बीच मे पिछले 10 वर्षों से समय देते हुए हमने समाज के वंचित वर्ग के लिए निःस्वार्थ काम किया जिसमें मुख्य रूप से शिक्षा, चिकित्सा की बदहाल व्यवस्था ,अधिकारी-कर्मचारी की उदासीनता ,ब्लॉक से संचालित योजनाओं में व्याप्त भ्रस्टाचार पर नियंत्रण के लिए तमाम ज्ञापन ,धरना प्रदर्शन, आंदोलन करने के साथ पत्रकारिता के माध्यम से सरकारी तंत्र में सुधार की मांग करते रहे।
यह सब करने से किसी को बहुत बड़ा फायदा तो नही मिल पाता है लेकिन एक बहुत बड़े वंचित वर्ग को इन सबका लाभ मिलता है । लेकिन देखने को मिला है कि हम जिसके लिए आवाज बुलंद करते हैं वह खुद अभी निर्णय नही ले पा रहा है कि उसे किसका साथ देना चाहिए।
फिलहाल इस बात की चिंता नही है क्योंकि मुझे पता है कि लोगों में जागरूकता की कमी ,डर और भय का माहौल के साथ अज्ञानता है इस लिए वें निडर होकर सामने नही आ पाते ।
लेकिन स्पष्ट करना चाहता हूं कि समाज के वंचित वर्ग की आवाज को हमेशा बुलंद किया जाएगा ,बशर्ते अब धरना प्रदर्शन और आंदोलन न करके मात्र पत्रकारिता के माध्यम से उनकी आवाज बुलंद की जाएगी क्योंकि धरना प्रदर्शन और आंदोलन के लिए लोगों तक अपनी विचार पंहुचाने और उन्हें जोड़ने के लिए हमारे पास अब वह समय नही है जो मैं पिछले 10 वर्षों से देता रहा हूँ क्योंकि हम राजधानी लखनऊ में एक छोटे से प्रतिष्ठान की देख रेख में व्यस्त हो सकता हूँ।
यह सब करने का उद्देश्य यही रहा है कि हम अपनी निजी आय से निष्पक्ष लेखनी को धार प्रदान कर सकूं क्योंकि मैं पत्रकारिता के मूल्यों को दफन कर अपनी जीविका के लिए अवसर नही तलाश सकता हूँ।
एक और बात यह है कि ,हो सकता है हम हर वंचित वर्ग के लिए अपना समय न दे पाएं इस लिए हमने तय किया है कि हम अपनी आय का 15 फीसदी हिस्सा जागरूकता अभियान एवं असहाय बच्चों की शिक्षा पर खर्च करूंगा ताकि समाज के दबे कुचले लोगों के बेटे-बेटियों को अग्रिम पंक्ति में लाने का सपना पूरा हो सके।