विश्वपति वर्मा-
सत्ता के हाथों बिकने वाली मीडिया समूहों के प्रधान संपादकों को लाल किले के सामने ढाई हाथ के रस्सी में लटकर यह कहते हुए जान दे देना चाहिए कि अब उनके अंदर निष्पक्ष बोलने की क्षमता नही रह गई है।
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के गेट पर छात्रों के एक गुट द्वारा बाबुल सुप्रियो को रोके जाने के बाद जिस तरहं से मीडिया ने एक पक्षीय खबर चलाया है इससे साफ है कि मीडिया समूहों से इससे ज्यादा कुछ उम्मीद भी नही है
कई अखबारों ने बाबुल सुप्रियो के पक्ष में इस तरहं से खबर छापी है जैसे बाबुल सुप्रियो के पास सुरक्षा व्यवस्था और उनके लोगों की वँहा कमी थी ।
एक दो अखबारों को छोड़ कर एक भी अखबार ने छात्रों की समस्या को समझने और उनकी भी बात को रखने लिए प्राथमिकता नही समझी ,अखबारों और चैनलों के साथ एबीवीपी के सोशल इंजीनियरिंग करने वाले लोग इस तरहं से बाबुल की दुर्दशा को दिखा रहे हैं जैसे कि सबसे असहाय और असशक्त व्यति बाबुल सुप्रियो ही थे ।
क्यों फैलाते हो इतना प्रोपोगेंडा ? क्या तुम सत्ताधारी किसी विशेष व्यक्ति और संस्था के लिए मंत्रिपरिषद में शामिल हुए हो या फिर देश के समस्त नागरिकों की समस्याओं पर समाधान लाने के लिए उपाय खोजोगे।
परेशान न हो बाबुल, सुप्रियो का घेराव तो अभी ट्रेलर है,प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी घिरेंगे, प्रदेश के मुख्यमंत्री भी घेरे जाएंगे उनके मंत्रिमंडल भी चपेट में आएंगे, जिला अधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को बंधक बनाया जाएगा क्योंकि इस देश मे किसी राजनैतिक पार्टी की फासीवादी ताकत नही चलेगी , बस जोशीले युवाओं का एक संगठन देश के कोने में तैयार होने की देर है।
सत्ता के हाथों बिकने वाली मीडिया समूहों के प्रधान संपादकों को लाल किले के सामने ढाई हाथ के रस्सी में लटकर यह कहते हुए जान दे देना चाहिए कि अब उनके अंदर निष्पक्ष बोलने की क्षमता नही रह गई है।
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के गेट पर छात्रों के एक गुट द्वारा बाबुल सुप्रियो को रोके जाने के बाद जिस तरहं से मीडिया ने एक पक्षीय खबर चलाया है इससे साफ है कि मीडिया समूहों से इससे ज्यादा कुछ उम्मीद भी नही है
कई अखबारों ने बाबुल सुप्रियो के पक्ष में इस तरहं से खबर छापी है जैसे बाबुल सुप्रियो के पास सुरक्षा व्यवस्था और उनके लोगों की वँहा कमी थी ।
एक दो अखबारों को छोड़ कर एक भी अखबार ने छात्रों की समस्या को समझने और उनकी भी बात को रखने लिए प्राथमिकता नही समझी ,अखबारों और चैनलों के साथ एबीवीपी के सोशल इंजीनियरिंग करने वाले लोग इस तरहं से बाबुल की दुर्दशा को दिखा रहे हैं जैसे कि सबसे असहाय और असशक्त व्यति बाबुल सुप्रियो ही थे ।
क्यों फैलाते हो इतना प्रोपोगेंडा ? क्या तुम सत्ताधारी किसी विशेष व्यक्ति और संस्था के लिए मंत्रिपरिषद में शामिल हुए हो या फिर देश के समस्त नागरिकों की समस्याओं पर समाधान लाने के लिए उपाय खोजोगे।
परेशान न हो बाबुल, सुप्रियो का घेराव तो अभी ट्रेलर है,प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी घिरेंगे, प्रदेश के मुख्यमंत्री भी घेरे जाएंगे उनके मंत्रिमंडल भी चपेट में आएंगे, जिला अधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को बंधक बनाया जाएगा क्योंकि इस देश मे किसी राजनैतिक पार्टी की फासीवादी ताकत नही चलेगी , बस जोशीले युवाओं का एक संगठन देश के कोने में तैयार होने की देर है।