विश्वपति वर्मा-
समय बदला, समाज बदला, सोच बदली और इन सबके साथ पत्रकारिता के सरोकार भी बदल गए ।मिशन को खूंटी पर टांग कर अधिकांश मीडिया समूहों ने पहले बाजार फिर मुनाफे की ओर दौड़ लगाकर एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ में शामिल हो गए इस नाते समाज के विविध मुद्दों पर पर सवाल उठाने वाले मीडिया पर खुद ही सवाल उठने लगे
मसलन क्या मीडिया पहले से अधिक ताकतवर हुआ?क्या आम जनता मीडिया की ताकत को बढ़ाने में योगदान दे रही है?क्या मीडिया अपने जन सरोकारी रूप को बचा पा रही है?क्या अब लोगों उनके अपने हिस्से की खबरों के लिए तरसना पड़ रहा है?क्या टीवी के बाद अब अखबारों से भी लोगों का विश्वास उठने लगा? क्या मीडिया अपने मिशन से भटक कर नकरात्मकत सामाजिक बदलाव की दिशा में चल पड़ा है?क्या देश के विकास में मीडिया का योगदान नही रह गया?
ऐसे ही कई और सवाल हैं जो मीडिया और उससे जुड़े संदर्भों को लेकर होने वाली बहंसों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि इक्कीसवीं सदी पहले दशक के समाप्त होते होते मीडिया को लेकर कई सवाल व चुनौतियां हमसे रू-ब-रू हुए हैं।
अब इस देश का बौद्धिक वर्ग ,नागरिक पत्रकार ,लेखक इस पर चिंता करे कि आखिर मीडिया समूह किस दौर से गुजर रहा है और आगे क्या होने वाला है।
समय बदला, समाज बदला, सोच बदली और इन सबके साथ पत्रकारिता के सरोकार भी बदल गए ।मिशन को खूंटी पर टांग कर अधिकांश मीडिया समूहों ने पहले बाजार फिर मुनाफे की ओर दौड़ लगाकर एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ में शामिल हो गए इस नाते समाज के विविध मुद्दों पर पर सवाल उठाने वाले मीडिया पर खुद ही सवाल उठने लगे
मसलन क्या मीडिया पहले से अधिक ताकतवर हुआ?क्या आम जनता मीडिया की ताकत को बढ़ाने में योगदान दे रही है?क्या मीडिया अपने जन सरोकारी रूप को बचा पा रही है?क्या अब लोगों उनके अपने हिस्से की खबरों के लिए तरसना पड़ रहा है?क्या टीवी के बाद अब अखबारों से भी लोगों का विश्वास उठने लगा? क्या मीडिया अपने मिशन से भटक कर नकरात्मकत सामाजिक बदलाव की दिशा में चल पड़ा है?क्या देश के विकास में मीडिया का योगदान नही रह गया?
ऐसे ही कई और सवाल हैं जो मीडिया और उससे जुड़े संदर्भों को लेकर होने वाली बहंसों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि इक्कीसवीं सदी पहले दशक के समाप्त होते होते मीडिया को लेकर कई सवाल व चुनौतियां हमसे रू-ब-रू हुए हैं।
अब इस देश का बौद्धिक वर्ग ,नागरिक पत्रकार ,लेखक इस पर चिंता करे कि आखिर मीडिया समूह किस दौर से गुजर रहा है और आगे क्या होने वाला है।