विश्वपति वर्मा-
स्वच्छ भारत मिशन पर करोड़ो रुपया खर्च किया गया,कूड़ेदान और कूड़े को नष्ट करने वाले अन्य संसाधनों के खरीद के नाम पर हजारों करोड़ रुपया सरकारी खजाने से उड़ाया गया लेकिन धरातल पर साफ सफाई की व्यवस्था सिफर है।
पहली तस्वीर राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर A ब्लॉक के कॉन्विन्सेन सेंटर के सामने का है ।जंहा पर कूड़ेदान की व्यवस्था न होने के कारण गंदगियों का एक बड़ा ढेर बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है ।
यह नज़ारा तो राजधानी लखनऊ की है लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली तस्वीर लखनऊ के बाहर भी मिल जाएंगे ।यह तस्वीर बाराबंकी जिले के मुख्यालय की है जंहा से महज 200 मीटर दूर जिलाधिकारी से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारी बैठते हैं लेकिन न तो आवारा पशुओं के लिए गौशाला है और न ही साफ सफाई की कोई व्यवस्था।
इन तस्वीरों को देखने के बाद स्पष्ट है कि स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर जितना धन बर्बाद किया गया है उसका 10 फीसदी काम भी योजना के उद्देश्य के प्रति खर्च नही किया गया है। अभियान के बाद की तस्वीर देखने के बाद यह कहने में कोई शक नहीं है कि मिशन के पैंसे को जमकर बंदरबांट किया गया है।
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालयों एवं सार्वजनिक स्थानों पर साफ सफाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 1.96 लाख करोड़ रुपये को खर्च करने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है लेकिन उसके बाद भी न शौचालय है न सफाई है ।
स्वच्छ भारत मिशन पर करोड़ो रुपया खर्च किया गया,कूड़ेदान और कूड़े को नष्ट करने वाले अन्य संसाधनों के खरीद के नाम पर हजारों करोड़ रुपया सरकारी खजाने से उड़ाया गया लेकिन धरातल पर साफ सफाई की व्यवस्था सिफर है।
पहली तस्वीर राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर A ब्लॉक के कॉन्विन्सेन सेंटर के सामने का है ।जंहा पर कूड़ेदान की व्यवस्था न होने के कारण गंदगियों का एक बड़ा ढेर बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है ।
यह नज़ारा तो राजधानी लखनऊ की है लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली तस्वीर लखनऊ के बाहर भी मिल जाएंगे ।यह तस्वीर बाराबंकी जिले के मुख्यालय की है जंहा से महज 200 मीटर दूर जिलाधिकारी से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारी बैठते हैं लेकिन न तो आवारा पशुओं के लिए गौशाला है और न ही साफ सफाई की कोई व्यवस्था।
इन तस्वीरों को देखने के बाद स्पष्ट है कि स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर जितना धन बर्बाद किया गया है उसका 10 फीसदी काम भी योजना के उद्देश्य के प्रति खर्च नही किया गया है। अभियान के बाद की तस्वीर देखने के बाद यह कहने में कोई शक नहीं है कि मिशन के पैंसे को जमकर बंदरबांट किया गया है।
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालयों एवं सार्वजनिक स्थानों पर साफ सफाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 1.96 लाख करोड़ रुपये को खर्च करने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है लेकिन उसके बाद भी न शौचालय है न सफाई है ।