विश्वपति वर्मा-
लखनऊ।
एक तरफ भारत भौतिक संसाधनों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर परचम लहराने के लिए लालायित है दूसरी तरफ देश के अंदर गरीबी और भुखमरी का बोझ उबाल मार रहा है।
भारत मे कुपोषण और भुखमरी के आंकड़े देखें तो यूनिसेफ की रिपोर्ट चौंकाने वाले हैं सोमवार को जारी हुई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत मे हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है ।वंही रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में हर साल 1 लाख करोड़ रुपये का अनाज बर्बाद हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पूरी दुनिया को 2030 तक भुखमरी से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया गया है जिसमे भारत भी शामिल है लेकिन हालिया रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 2030 तक भारत मे भुखमरी कम नही बल्कि बढ़ने वाले हैं।
यूनीसेफ द्वारा अपनी रिपोर्ट में पांच चिंताजनक खुलासे किये गए हैं रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्वभर में दो अरब लोगों का खानपान ठीक नहीं हैं, जिससे मोटापा, हृदय संबंधी बीमारी और मधुमेह की बीमारियां बढ़ रही है। फार्मूला मिल्क की बिक्री विश्वभर में 40 प्रतिशत बढ़ी है। छह माह से कम आयु के हर पांच में से केवल दो शिशुओं को ही केवल मां का दूध मिल रहा है। विश्वभर में पांच साल से कम आयु के करीब 70 करोड़ में से एक तिहाई बच्चों पर जीवनपर्यन्त स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त रहने का खतरा है ।गरीब देशों में चार साल या इससे भी कम आयु के 14 करोड़ 90 लाख बच्चों का कद अब भी अपनी आयु के हिसाब से छोटा है।
इसके अलावां विश्वभर में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से करीब आधे बच्चों को आवश्यक विटामिन और खनिज नहीं मिल रहे।
रिपोर्ट पर नजर दौड़ाएं तो वैश्विक भूख सूचकांक-2019 में भारत 102 स्थान के साथ दैयनीय स्थिति में है .अब जिस तरहं से भारत दुनिया की महाशक्ति बनने के लिए प्रयत्नशील है उसे 117 देशों की इस सूची में ऊपर आना होगा। यह सूचकांक बताता है कि देश में कुपोषण, बाल कुपोषण, बाल मृत्युदर और बच्चों में बौनापन की स्थिति गंभीर है।
संयुक्त राष्ट्र के भोजन व कृषि संगठन की रिपोर्ट ‘दुनिया में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति - 2019’ के अनुसार, दुनियाभर में सबसे ज्यादा 14.5 प्रतिशत यानी 19.44 करोड़ कुपोषित भारत में हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें दोनों वक्त का भोजन नसीब नहीं है, इनमें से ज्यादातर को भूखे ही सो जाना पड़ता है। लेकिन असली रिपोर्ट में यह संख्या 21 करोड़ के पार हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2018 बताती है कि देश में हर दिन 3000 बच्चों की कुपोषण से जुड़ी बीमारियों के कारण मौत हो जाती है। यह स्थिति तब है जबकि दुनिया में भारत भैंस का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सब्जी, फल व मछली उत्पादक देश है।
एक मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी गोदामों में पिछले 10 सालों से रखा 7.80 लाख कुंतल अनाज सड़ गया। रिपोर्ट में बताया गया कि हमारे देश में प्रति व्यक्ति अनाज की खपत लगभग 500 ग्राम है। इस तरह से रोजाना करीब 43 हजार लोगों का खाना बर्बाद होता है। इस खबर के मुताबिक भी देश में हर दिन करीब 20 करोड़ लोग भूखे रह जाते हैं 821 बच्चे प्रतिदिन पर्याप्त खाना नहीं मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं।वहीं ग्लोबल फूड वेस्ट नॉट वांट नॉट के 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 21 मिलियन टन गेंहू बर्बाद हो रहा है।
इस तरहं के रिपोर्ट आने के बाद सवाल पैदा होता है कि जब हमारा देश दुनिया भर में अनाज उगाने के लिए जाना जाता है। तब देश भर में 21 करोड़ लोगों को भूखे पेट सोने को मजबूर होना पड़ता है।आखिर अन्नदाता के देश मे इतनी बड़ी समस्या उतपन्न होने का कारण क्या है ?क्या भुखमरी के चपेट में रहकर भारत शक्तिशाली बन सकता है? या फिर इससे निपटने के लिए कोई ठोस योजना बनाई जाएगी।