जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहली बार किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को वहां जाने की इजाज़त दी जा रही है. यूरोपियन यूनियन के 27 सांसद कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने आज श्रीनगर पहुंच रहे हैं. इससे पहले यूरोपीय सांसद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति से भी मिले.
आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का ये पहला कश्मीर दौरा है. आपको बता दें कि यूरोपियन यूनियन की संसद में कश्मीर के हालात पर पिछले महीने चिंता जताई गई थी और कहा गया था कि वहां आम लोगों के बुनियादी हक़ जल्दी बहाल होने चाहिए. इन सांसदों को कश्मीर जाने की अनुमति ऐसे समय दी गयी है जब प्रमुख विपक्षी नेता बंद हैं. कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं.
वहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती की ओर से ट्वीट करते हुए उनकी बेटी ने लिखा है, 'उम्मीद करें कि उन्हें लोगों से, स्थानीय मीडिया से, डॉक्टरों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से बात करने का भी मौक़ा मिलेगा. कश्मीर और बाक़ी दुनिया के बीच लोहे का जो परदा पड़ा है उसे उठाने की ज़रूरत है और जम्मू-कश्मीर को संकट में धकेलने के लिए भारत सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.'
आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का ये पहला कश्मीर दौरा है. आपको बता दें कि यूरोपियन यूनियन की संसद में कश्मीर के हालात पर पिछले महीने चिंता जताई गई थी और कहा गया था कि वहां आम लोगों के बुनियादी हक़ जल्दी बहाल होने चाहिए. इन सांसदों को कश्मीर जाने की अनुमति ऐसे समय दी गयी है जब प्रमुख विपक्षी नेता बंद हैं. कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं.
वहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती की ओर से ट्वीट करते हुए उनकी बेटी ने लिखा है, 'उम्मीद करें कि उन्हें लोगों से, स्थानीय मीडिया से, डॉक्टरों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से बात करने का भी मौक़ा मिलेगा. कश्मीर और बाक़ी दुनिया के बीच लोहे का जो परदा पड़ा है उसे उठाने की ज़रूरत है और जम्मू-कश्मीर को संकट में धकेलने के लिए भारत सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.'