भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया. अभिजीत कोलकाता में पैदा हुए और उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की. अभिजीत बनर्जी ने जेएनयू से अर्थशास्त्र में मास्टर्स भी किया. फिलहाल वह अमेरिका की एमआइटी कैंब्रिज में हैं. खास बात यह है कि अभिजीत को ये पुरस्कार जिन तीन लोगों के साथ मिला है, उनमें एक उनकी पत्नी एस्थर डुफलो हैं और एक उनके सहकर्मी मिखाइल क्रेमेर भी हैं. अमर्त्य सेन के बाद अभिजीत बनर्जी अर्थशास्त्र में नोबेल पाने वाले दूसरे भारतीय हैं. इनको दुनिया में गरीबी हटाने के उपायों के लिए शोध पर नोबेल मिला है.
डगमगाती स्थिति में है अर्थव्यवस्था
नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में है. उन्होंने कहा कि इस समय उपलब्ध आंकड़ें यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आ सकती है. उन्होंने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है. वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद, (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार) को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है.' बनर्जी ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया, 'पिछले पांच-छह वर्षों में, हमने कम से कम कुछ विकास तो देखा, लेकिन अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया है.' उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवन में कभी भी नहीं सोचा था कि उन्हें इतनी जल्दी नोबेल पुरस्कार मिल जाएगा. अभिजीत बनर्जी ने कहा, 'मैं पिछले 20 वर्षों से शोध कर रहा था. हमने गरीबी उन्मूलन के लिए समाधान देने की कोशिश की.'