विश्वपति वर्मा-
हमारे देश की शिक्षा प्रणाली एकदम से बूढ़ी हो चुकी है वह अस्वस्थ भी हो चुकी है ,समय समय पर बहुत इलाज किया गया ,उसपर पैंसा भी खूब खर्च किया गया लेकिन लकवा मार चुकी शिक्षा प्रणाली धुरी पर खड़ी होने लायक नही बन पाई, इसके लिए कोई कारगर दवा भी नही बन पाई है कि वह इस बीमारी से उबर सके ।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने के लिए आये बच्चों की 8 अक्टूबर 2019 में ली गई एक तस्वीर
यदि इस भयानक बीमारी को जड़ से खत्म करना है तो सबसे पहले देश मे नई शिक्षा नीति बनाई जाए ,पढ़ाई में गुणवक्ता सुनिश्चित किया जाए ,फेल न करने वाले नियम को बंद किया जाए , स्कूल के पाठ्यक्रम को बदला जाए वंही बच्चों के बैठने के लिए स्कूल में फर्नीचर की व्यवस्था हो ,स्वच्छ पेय जल की उपलब्धता हो साथ ही शिक्षक और छात्र अनुपात को ठीक किया जाए जिसमे यह निश्चित किया जाए कि एक एक सौ बच्चों की संख्या को पढ़ाने के लिए कितने अध्यापक होंगे ।इतना सब करने के बाद हम देश को विकास के रास्ते पर जाता देख पाएंगे क्योंकि बिना शिक्षा के विकास के किसी देश और देश के लोगों का विकास संभव नही है।
हमारे देश की शिक्षा प्रणाली एकदम से बूढ़ी हो चुकी है वह अस्वस्थ भी हो चुकी है ,समय समय पर बहुत इलाज किया गया ,उसपर पैंसा भी खूब खर्च किया गया लेकिन लकवा मार चुकी शिक्षा प्रणाली धुरी पर खड़ी होने लायक नही बन पाई, इसके लिए कोई कारगर दवा भी नही बन पाई है कि वह इस बीमारी से उबर सके ।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने के लिए आये बच्चों की 8 अक्टूबर 2019 में ली गई एक तस्वीर
यदि इस भयानक बीमारी को जड़ से खत्म करना है तो सबसे पहले देश मे नई शिक्षा नीति बनाई जाए ,पढ़ाई में गुणवक्ता सुनिश्चित किया जाए ,फेल न करने वाले नियम को बंद किया जाए , स्कूल के पाठ्यक्रम को बदला जाए वंही बच्चों के बैठने के लिए स्कूल में फर्नीचर की व्यवस्था हो ,स्वच्छ पेय जल की उपलब्धता हो साथ ही शिक्षक और छात्र अनुपात को ठीक किया जाए जिसमे यह निश्चित किया जाए कि एक एक सौ बच्चों की संख्या को पढ़ाने के लिए कितने अध्यापक होंगे ।इतना सब करने के बाद हम देश को विकास के रास्ते पर जाता देख पाएंगे क्योंकि बिना शिक्षा के विकास के किसी देश और देश के लोगों का विकास संभव नही है।