सुप्रीम कोर्ट ने सियासी रूप से संवेदनशील अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाकर विवादित ढांचे की ज़मीन हिन्दुओं को सौंप देने का आदेश दिया है, और केंद्र सरकार से तीन महीने के भीतर मंदिर के लिए ट्रस्ट गठित करने को कहा है.
पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के सभी सदस्यों की सम्मति से सुनाए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि मस्जिद के लिए केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही सूटेबल और प्रॉमिनेंट जगह ज़मीन दे.
CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने शनिवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाना शुरू किया था. पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर शामिल हैं.
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अपने केबिन में बुलाकर उनसे राज्य में सुरक्षा बंदोबस्तों और कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की थी. CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान - के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 6 अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी.
पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के सभी सदस्यों की सम्मति से सुनाए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि मस्जिद के लिए केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही सूटेबल और प्रॉमिनेंट जगह ज़मीन दे.
CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने शनिवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाना शुरू किया था. पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर शामिल हैं.
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अपने केबिन में बुलाकर उनसे राज्य में सुरक्षा बंदोबस्तों और कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की थी. CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान - के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 6 अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी.