सूचना के अधिकार के तहत आरबीआई से मांगी गई एक जानकारी से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार के 2014 से 2018 कार्यकाल के दौरान देश के बैंकों से 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले हुए हैं। इस दौरान देश के विभिन्न बैंकों से 19000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं ।
आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि पिछले 5 साल में देश के विभिन्न बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये के 23 हजार से ज्यादा बैंक घोटालों का पता चला है। देश के केंद्रीय बैंक के अनुसार अप्रैल, 2017 से मार्च, 2018 के बीच बैंक धोखाधड़ी के 5152 मामले उजागर हुए हैं। धोखाधड़ी के इन मामलों में 28,459 करोड़ रुपये शामिल हैं। वहीं साल 2016-17 में 5076 बैंक घोटाले हुए, जिनमें 23,933 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। कुल मिलाकर 2013 के मार्च से 2018 के मार्च तक पांच साल की अवधि में 1 लाख रुपये या उससे ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी के 23,866 मामले सामने आए हैं, जिनमें 1 लाख 718 करोड़ रुपये की राशि का घोटाला हुआ है।
रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए जवाब के अध्ययन से पता चलता है कि साल 2014-2015 से 2017-2018 के बीच देश के अलग-अलग बैंकों से 19000 से ज्यादा धोखाधड़ी के मामले सामने आए, जिनमें 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का घोटाला हुआ।
आरबीआई ने कहा है कि धोखाधड़ी के मामले सामने आने के बाद इन मामलों में तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। बैंक धोखाधड़ी से संबंधित आरबीआई का यह खुलासा काफी अहम है क्योंकि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी कई केंद्रीय जांच एजेंसियां देश के कई उद्योगपतियों द्वारा किए गए धोखाधड़ी के कई बड़े मामलों की जांच कर रही हैं। इन मामलों में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किया गया 12,00 करोड़ से ज्यादा का पीएनबी बैंक घोटाला भी शामिल है।
वहीं केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दिसंबर 2017 तक देश के सभी बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 8 लाख 40 हजार 958 करोड़ रुपये तक पहुंच गई हैं। गौरतलब है कि देश में एनपीए के सबसे ज्यादा मामले उद्योगों को दिए गए ऋण के मामले में सामने आए हैं। एनपीए के मामले में एसबीआई सबसे आगे है।