विश्वपति वर्मा-
मौजूदा सरकार में अभिव्यक्ति के आजादी की हत्या की जा रही है ,बौद्धिक संपदा के लोगों के मुह में पट्टी लगाई जा रही है ,प्रशासन का सहयोग लेकर आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ गलत तरीके के कार्यवाई की जा रही है ।
विरोध करना भी अब गुनाह हो गया है ,बेगुनाहों को सजा मिल रहा है ,निर्दोष को दोषी बताया जा रहा है,दोषी और आरोपी सत्ता के मुहाने पर बैठे हैं ।इससे ज्यादा निरंकुश लोकतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना हम और क्या कर सकते हैं ।
चारो तरफ निराशा है ,बेरोजगारी है ,लाचारी है ,भ्रष्टाचार का आलम यह है कि शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जारी बजट को जिम्मेदार लोग डकार ले रहे हैं ,परिषदीय विद्यालयों में अभी तक बच्चों के पास किताबों की संख्या भी पूरी नही पंहुच पाई, सरकार के आदर्श ग्राम पंचायत में कुछ खास नही है ,स्वास्थ्य केंद्र पर बाहर से दवा लिखी जा रही है वंही करोड़ो रुपया दवा उपलब्ध कराने के नाम पर खारिज किया जा रहा है, कागजों में सड़कें गड्ढा मुक्त हो चुकी हैं लेकिन यूपी की सड़कें तालाब बन चुकी हैं, रेडियो ,टीवी ,अखबार पर मिनट-मिनट पर विज्ञापन आ रहे हैं जिसमे बताया जा रहा है कि देश बदल रहा है लेकिन अगर देश मे कुछ बदल रहा है तो उच्च वर्ग का जीवन स्तर वंही निम्न वर्ग लगातर खाई में जा रहा है ।
लेकिन रेडियो ,टीवी और अखबार यह बताने के लिए बिल्कुल तैयार नही हैं ,आखिर ये क्या है ?क्या स्वतंत्र संस्थाएं भी सरकार की नियंत्रण में चल रही हैं ?क्या इसकी मॉनिटरिंग सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं ?क्या लोग डर गए हैं ? या देश के लोगों को डरा दिया गया है ?ऐसे ही न जाने कितने सवाल जेहन में उपज रहे हैं।
मौजूदा सरकार में अभिव्यक्ति के आजादी की हत्या की जा रही है ,बौद्धिक संपदा के लोगों के मुह में पट्टी लगाई जा रही है ,प्रशासन का सहयोग लेकर आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ गलत तरीके के कार्यवाई की जा रही है ।
विरोध करना भी अब गुनाह हो गया है ,बेगुनाहों को सजा मिल रहा है ,निर्दोष को दोषी बताया जा रहा है,दोषी और आरोपी सत्ता के मुहाने पर बैठे हैं ।इससे ज्यादा निरंकुश लोकतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना हम और क्या कर सकते हैं ।
चारो तरफ निराशा है ,बेरोजगारी है ,लाचारी है ,भ्रष्टाचार का आलम यह है कि शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जारी बजट को जिम्मेदार लोग डकार ले रहे हैं ,परिषदीय विद्यालयों में अभी तक बच्चों के पास किताबों की संख्या भी पूरी नही पंहुच पाई, सरकार के आदर्श ग्राम पंचायत में कुछ खास नही है ,स्वास्थ्य केंद्र पर बाहर से दवा लिखी जा रही है वंही करोड़ो रुपया दवा उपलब्ध कराने के नाम पर खारिज किया जा रहा है, कागजों में सड़कें गड्ढा मुक्त हो चुकी हैं लेकिन यूपी की सड़कें तालाब बन चुकी हैं, रेडियो ,टीवी ,अखबार पर मिनट-मिनट पर विज्ञापन आ रहे हैं जिसमे बताया जा रहा है कि देश बदल रहा है लेकिन अगर देश मे कुछ बदल रहा है तो उच्च वर्ग का जीवन स्तर वंही निम्न वर्ग लगातर खाई में जा रहा है ।
लेकिन रेडियो ,टीवी और अखबार यह बताने के लिए बिल्कुल तैयार नही हैं ,आखिर ये क्या है ?क्या स्वतंत्र संस्थाएं भी सरकार की नियंत्रण में चल रही हैं ?क्या इसकी मॉनिटरिंग सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं ?क्या लोग डर गए हैं ? या देश के लोगों को डरा दिया गया है ?ऐसे ही न जाने कितने सवाल जेहन में उपज रहे हैं।