अध्यापक, एसडीआई, बीएसए, डीएम ,सीएम ,पीएम ...क्या खाएंगे मिडडेमील का खाना? - तहक़ीकात समाचार

ब्रेकिंग न्यूज़

Post Top Ad

Responsive Ads Here

रविवार, 17 नवंबर 2019

अध्यापक, एसडीआई, बीएसए, डीएम ,सीएम ,पीएम ...क्या खाएंगे मिडडेमील का खाना?

विश्वपति वर्मा-

परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति दर्ज हो सके इसके लिए सरकार द्वारा नाना प्रकार के लुभावनी योजनाओं को संचालित किया जाता है जिसमे से एक योजना मिडडेमील (मध्यान्ह भोजन योजना)भी है लेकिन सरकार के लाख प्रयास के बाद भी सारी योजनाओं का हाल बदहाल है।

 बस्ती जनपद के सल्टौआ विकास खण्ड के पिटाउट ग्राम पंचायत में स्थिति एक प्राइमरी स्कूल में मिलने वाली मध्यान्ह भोजन योजना की हाल जानने के लिए हमारी टीम वँहा पंहुची जंहा हमने देखा कि स्कूल के बच्चे थाली लेकर भागते हुए स्कूल प्रांगड़ में एक छायादार वृक्ष के नीचे एकत्रित हो रहे हैं देखते ही देखते 50-60 की संख्या में बच्चे वृक्ष के नीचे जमीन पर बैठ गए उसके बाद रसोइया द्वारा थाली में चावल परोसा गया ।

सब कुछ हो रहा था हम वँहा की व्यवस्था को देख रहे थे कुछ देर  बाद दूसरी रसोइया द्वारा आलू सोयाबीन की बनी सब्जी बच्चों की थाली में डाला जा रहा था और बच्चे भी चावल में सब्जी पड़ने के बाद कुछ खा रहे थे कुछ फेंक रहे थे ।

लेकिन जब हमने उस सब्जी के बारे पता किया तो बताया गया कि सब्जी में लहसुन और प्याज  की मात्रा नही है ,क्योंकि लहसुन और प्याज के दाम आसमान छू चुके हैं इसलिए स्कूल के भोजन में इसका प्रयोग नही हो रहा है। 

जो भी हो सब्जी लहसुन ,प्याज ,तेल कुछ भी न पड़ा हो लेकिन सरकारी रजिस्टर में यह दर्ज ही गया कि स्कूल में चावल सब्जी बनी थी अब उस सब्जी की गुणवत्ता क्या थी यह तो खाने वाले ही बता पाएंगे ।

फिलहाल यंहा सवाल यह है कि देश के माननीय लोगों के खातिर करोड़ो रुपया खर्च कर कैंटीन खोली जाती है,स्थानीय स्तर पर होने वाले तहसील दिवस से लेकर तमाम सरकारी कार्यक्रम और मीटिंग में चाय पानी के नाम पर लाखों रुपया खर्च किया जाता है तो क्या इन बच्चों को बैठने के लिए बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम नही किया जाना चाहिए ।।

अब इसके आगे कोई दूसरा सवाल नही होगा क्योंकि प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि सबसे पहले उन बच्चों को बैठने के लिए व्यवस्था होनी चाहिए जो खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर खाना खा रहे हैं। उसके बाद खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाया जाएगा।

और अगर यही व्यवस्था है तो इस देश के जिम्मेदार लोग जवाबदेही तय करें कि क्या अध्यापक से लेकर ,खण्ड शिक्षा अधिकारी ,बेसिक शिक्षा अधिकारी ,जिला अधिकारी ,विधायक ,सांसद के साथ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री इस तरहं का खाना इसी तरहं की व्यवस्था में खाएंगे।

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages