विश्वपति वर्मा (सौरभ)
एक कार्य पर एक समान वेतन की बात काफी दिनों से हो रही है लेकिन उसपर नियम और कानून बनाने वाले कभी इसे गंभीरता से नही लेते इतना ही नही एक ही क्षेत्र से जुड़े लोगों को वेतन ,भत्ता एवं लाभ के लिए अलग -अलग समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जी हां ...सही सुन रहे हैं आप इस तरहं की समस्याओं का सामना शिक्षकों को करना पड़ रहा है जंहा बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा के अध्यापकों को अलग अलग तरहं की विसंगतियों का सामना करना पड़ रहा है।जिसमे से राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है जंहा 5 से 6 महीनों का वेतन अध्यापकों को नही मिला है जिसके कारण अध्यापकों को जीविकोपार्जन चलाने में समस्या खड़ी हो गई है
तहकीकात समाचार टीम ने जनपद के गौर ब्लॉक के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरहिया के प्रधानाध्यापक इंद्रकुमार वर्मा से बात किया तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में 7 अध्यापकों की जगह है जिसमे से केवल चार पदों पर ही तैनाती हुई है ,उन्होंने बताया कि जिन अध्यापकों की तैनाती हुई है उन्हें पिछले 5 महीने से वेतन नही मिला है प्रधानाध्यापक ने बताया कि 2 महीने का वेतन उन्हें भी नही मिला है। उन्होंने बताया कि स्कूल में अध्यापकों और संसाधनों की कमी की वजह से बच्चे प्राइवेट सेक्टर के स्कूल में भागना चाहते हैं उसके बाद भी 63 बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा हम लोग उठाये हुए हैं
स्कूल में तैनात एक दूसरे अध्यापक गणेशदत्त चौधरी ने बताया कि सरकार तमाम सुबिधाओं की बात तो करती है लेकिन जब अध्यापकों को वेतन देने की बात आती है तब सबको सांप सूंघ जाता है गणेशदत्त चौधरी ने बताया कि पिछले 5 महीने से तनख्वाह नही मिली है ।उसके बाद भी शैक्षणिक कार्य मे ईमानदारी से लगे हैं।
एक और अध्यापक नितेन्द्र कुमार ने बताया कि अगस्त के महीने से वेतन नही मिला है उसके बाद भी प्रतिदिन समय से आकर बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं उन्होंने बताया कि अध्यापकों को स्कूल आने से लेकर अपने आपको दुरुस्त रखने में खर्चे आते हैं लेकिन सरकार को इन सब का कोई परवाह नही है ,नितेन्द्र ने कहा कि बिना तनख्वाह पाए कोई कैसे 5 से 6 महीने तक अपनी सेवा दे सकता है , तहकीकात समाचार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को राजकीय विद्यालय के अध्यापकों की परवाह करनी चाहिए क्योंकि अध्यापकों के पास आवागमन से लेकर निजी जरूररों को पूरा करने के लिए भी पैंसा नही है ।
स्कूल के अध्यापक अलखराम यादव ने बताया कि एक तो विद्यालय अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है दूसरा जो अध्यापक हैं उन्हें उनके मेहनत का भुगतान भी नही मिल पा रहा है ,अलखराम यादव ने कहा कि वें कला के अध्यापक है लेकिन अंग्रेजी और गणित में पकड़ होने की वजह से बच्चों को अंग्रेजी और गणित की शिक्षा भी दे रहे हैं ।बता दें कि स्कूल में अंग्रेजी और गणित के अध्यापक नही हैं।
सल्टौआ ब्लॉक के अजगैवा जंगल ने बने राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक इंद्रा श्रीवास्तव से बात हुई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में 62 बच्चे नामांकित हैं लेकिन विज्ञान और गणित के शिक्षक न होने की वजह से शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने में समस्या आती है उसके बाद भी बच्चों का सभी अध्याय पूरा किया जा रहा है । श्रीमती इंद्रा ने कहा कि सरकार को समुचित व्यवस्था के साथ वेतन विसंगतियों को दूर करना चाहिए ताकि हौसला के साथ अध्यापक गण अपने कार्यों को पूरा कर सकें।
स्कूल में तैनात अध्यापक जयंत्री प्रसाद मिश्रा ने कहा कि हम बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन उसके लिए जरूरी है कि विद्यालय में जितनी भी अध्यापकों और अनुचर की सीटें हैं वह भरी जाएं और नियमित रूप से स्थायी वेतन दिए जाने का खाका तैयार किया जाए।
साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था
वैसे जब सरकारी स्कूलों की बात आती है तब जेहन में बदहाल भवनों एवं अव्यवस्थित माहौल का चित्रण होने लगता है लेकिन हमारी समीक्षा में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरहिया एवं अजगैवा में साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था के साथ एक शान्तिप्रिय और पठन पाठन करने योग्य माहौल देखने को मिला।
एक कार्य पर एक समान वेतन की बात काफी दिनों से हो रही है लेकिन उसपर नियम और कानून बनाने वाले कभी इसे गंभीरता से नही लेते इतना ही नही एक ही क्षेत्र से जुड़े लोगों को वेतन ,भत्ता एवं लाभ के लिए अलग -अलग समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जी हां ...सही सुन रहे हैं आप इस तरहं की समस्याओं का सामना शिक्षकों को करना पड़ रहा है जंहा बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा के अध्यापकों को अलग अलग तरहं की विसंगतियों का सामना करना पड़ रहा है।जिसमे से राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है जंहा 5 से 6 महीनों का वेतन अध्यापकों को नही मिला है जिसके कारण अध्यापकों को जीविकोपार्जन चलाने में समस्या खड़ी हो गई है
तहकीकात समाचार टीम ने जनपद के गौर ब्लॉक के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरहिया के प्रधानाध्यापक इंद्रकुमार वर्मा से बात किया तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में 7 अध्यापकों की जगह है जिसमे से केवल चार पदों पर ही तैनाती हुई है ,उन्होंने बताया कि जिन अध्यापकों की तैनाती हुई है उन्हें पिछले 5 महीने से वेतन नही मिला है प्रधानाध्यापक ने बताया कि 2 महीने का वेतन उन्हें भी नही मिला है। उन्होंने बताया कि स्कूल में अध्यापकों और संसाधनों की कमी की वजह से बच्चे प्राइवेट सेक्टर के स्कूल में भागना चाहते हैं उसके बाद भी 63 बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा हम लोग उठाये हुए हैं
स्कूल में तैनात एक दूसरे अध्यापक गणेशदत्त चौधरी ने बताया कि सरकार तमाम सुबिधाओं की बात तो करती है लेकिन जब अध्यापकों को वेतन देने की बात आती है तब सबको सांप सूंघ जाता है गणेशदत्त चौधरी ने बताया कि पिछले 5 महीने से तनख्वाह नही मिली है ।उसके बाद भी शैक्षणिक कार्य मे ईमानदारी से लगे हैं।
एक और अध्यापक नितेन्द्र कुमार ने बताया कि अगस्त के महीने से वेतन नही मिला है उसके बाद भी प्रतिदिन समय से आकर बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं उन्होंने बताया कि अध्यापकों को स्कूल आने से लेकर अपने आपको दुरुस्त रखने में खर्चे आते हैं लेकिन सरकार को इन सब का कोई परवाह नही है ,नितेन्द्र ने कहा कि बिना तनख्वाह पाए कोई कैसे 5 से 6 महीने तक अपनी सेवा दे सकता है , तहकीकात समाचार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को राजकीय विद्यालय के अध्यापकों की परवाह करनी चाहिए क्योंकि अध्यापकों के पास आवागमन से लेकर निजी जरूररों को पूरा करने के लिए भी पैंसा नही है ।
स्कूल के अध्यापक अलखराम यादव ने बताया कि एक तो विद्यालय अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है दूसरा जो अध्यापक हैं उन्हें उनके मेहनत का भुगतान भी नही मिल पा रहा है ,अलखराम यादव ने कहा कि वें कला के अध्यापक है लेकिन अंग्रेजी और गणित में पकड़ होने की वजह से बच्चों को अंग्रेजी और गणित की शिक्षा भी दे रहे हैं ।बता दें कि स्कूल में अंग्रेजी और गणित के अध्यापक नही हैं।
सल्टौआ ब्लॉक के अजगैवा जंगल ने बने राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक इंद्रा श्रीवास्तव से बात हुई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में 62 बच्चे नामांकित हैं लेकिन विज्ञान और गणित के शिक्षक न होने की वजह से शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने में समस्या आती है उसके बाद भी बच्चों का सभी अध्याय पूरा किया जा रहा है । श्रीमती इंद्रा ने कहा कि सरकार को समुचित व्यवस्था के साथ वेतन विसंगतियों को दूर करना चाहिए ताकि हौसला के साथ अध्यापक गण अपने कार्यों को पूरा कर सकें।
स्कूल में तैनात अध्यापक जयंत्री प्रसाद मिश्रा ने कहा कि हम बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन उसके लिए जरूरी है कि विद्यालय में जितनी भी अध्यापकों और अनुचर की सीटें हैं वह भरी जाएं और नियमित रूप से स्थायी वेतन दिए जाने का खाका तैयार किया जाए।
साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था
वैसे जब सरकारी स्कूलों की बात आती है तब जेहन में बदहाल भवनों एवं अव्यवस्थित माहौल का चित्रण होने लगता है लेकिन हमारी समीक्षा में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरहिया एवं अजगैवा में साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था के साथ एक शान्तिप्रिय और पठन पाठन करने योग्य माहौल देखने को मिला।