बस्ती। विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर मंगलवार को "बचपन डे केअर सेन्टर" बस्ती में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि उपनिदेशक दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग बस्ती मण्डल अनूप कुमार सिंह ने कहा कि वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रुप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विकलांगजनों के लिये पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार और बराबरी के मौकों पर जोर देने के लिये योजना बनायी गयी थी। विश्व विकलांग दिवस को मनाने का लक्ष्य उनकी सहायता और नैतिकता को बढ़ाने के साथ विकलांगजनों के कला प्रदर्शनी के आयोजन के द्वारा इस महान उत्सव को मनाया जाता है जो उनकी क्षमताओं को दिखाने के लिये विकलांग लोगों के द्वारा बनायी गयी कलाकृतियों को बढ़ावा देता है। समाज में विकलांगजनों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरुकता को बढ़ाने के साथ ही विकलांग लोगों की कठिनाईयों की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिये विरोध क्रियाओं में सामान्य लोग भी शामिल होते हैं। इस उत्सव को मनाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य विकलांगजनों के अक्षमता के मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता और समझ को बढ़ाना है। समाज में उनके आत्म-सम्मान, लोक-कल्याण और सुरक्षा की प्राप्ति के लिये विकलांगजनों की सहायता करना। समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा देना और गरीबी घटाना, बराबरी का मौका प्रदान कराना, उचित पुनर्सुधार के साथ उन्हें सहायता देना है।
कार्यक्रम में ज़िला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के साइक्लोजिस्ट राधेश्याम चौधरी व बचपन ड़े केयर सेंटर के विशेष शिक्षक दिलीप कुमार चौधरी, वरिष्ठ सहायक धर्मेंद्र कुमार, ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर विभिन्न अक्षमता वाले दिव्यांग बच्चो ने वाद्य यंत्रों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। शुभम अग्रहरि,सोनी, महक, प्रमोद, नेहा,दीपक,आलिया, आयुष चौधरी, राजकपूर, पिंकी ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। विशेष शिक्षक रस्म सरन, प्रदीप कुमार चौधरी, रिपुंजय सिंह, कल्पना त्रिपाठी, कल्पना राव, कीर्ति निखर, संगीता यादव, विजय श्रीवास्तव, शिवमूर्ति यादव सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विकलांगजनों के लिये पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार और बराबरी के मौकों पर जोर देने के लिये योजना बनायी गयी थी। विश्व विकलांग दिवस को मनाने का लक्ष्य उनकी सहायता और नैतिकता को बढ़ाने के साथ विकलांगजनों के कला प्रदर्शनी के आयोजन के द्वारा इस महान उत्सव को मनाया जाता है जो उनकी क्षमताओं को दिखाने के लिये विकलांग लोगों के द्वारा बनायी गयी कलाकृतियों को बढ़ावा देता है। समाज में विकलांगजनों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरुकता को बढ़ाने के साथ ही विकलांग लोगों की कठिनाईयों की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिये विरोध क्रियाओं में सामान्य लोग भी शामिल होते हैं। इस उत्सव को मनाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य विकलांगजनों के अक्षमता के मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता और समझ को बढ़ाना है। समाज में उनके आत्म-सम्मान, लोक-कल्याण और सुरक्षा की प्राप्ति के लिये विकलांगजनों की सहायता करना। समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा देना और गरीबी घटाना, बराबरी का मौका प्रदान कराना, उचित पुनर्सुधार के साथ उन्हें सहायता देना है।
कार्यक्रम में ज़िला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के साइक्लोजिस्ट राधेश्याम चौधरी व बचपन ड़े केयर सेंटर के विशेष शिक्षक दिलीप कुमार चौधरी, वरिष्ठ सहायक धर्मेंद्र कुमार, ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर विभिन्न अक्षमता वाले दिव्यांग बच्चो ने वाद्य यंत्रों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। शुभम अग्रहरि,सोनी, महक, प्रमोद, नेहा,दीपक,आलिया, आयुष चौधरी, राजकपूर, पिंकी ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। विशेष शिक्षक रस्म सरन, प्रदीप कुमार चौधरी, रिपुंजय सिंह, कल्पना त्रिपाठी, कल्पना राव, कीर्ति निखर, संगीता यादव, विजय श्रीवास्तव, शिवमूर्ति यादव सहित अन्य लोग मौजूद रहे।