नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का देशभर में जबरदस्त विरोध हो रहा है. लखनऊ में भड़की हिंसा मामले में हजरतगंज पुलिस ने शुक्रवार शाम 'द हिंदू' (The Hindu) अखबार के पत्रकार उमर राशिद को हिरासत में ले लिया. मुख्यमंत्री कार्यालय के दखल के बाद उन्हें छोड़ा गया. राशिद ने बताया कि वह अपने कुछ पत्रकार दोस्तों के साथ बीजेपी दफ्तर के पास स्थित एक होटल में नाश्ता कर रहे थे. उसी वक्त सादी वर्दी में आए पुलिसकर्मियों ने कुछ बात करने के लिये उन्हें अलग बुलाया और जबरन गाड़ी में बैठा लिया.
उमर राशिद ने बताया कि उन्होंने पुलिसकर्मियों से कहा कि वह पत्रकार हैं और उन्होंने अपना आईडी कार्ड भी दिखाया. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनका फोन छीन लिया और बदसलूकी की. राशिद ने कहा कि बाद में उन्हें हजरतगंज कोतवाली ले जाकर एक कमरे में बंद कर दिया गया और उनके साथ लाए गए उनके दोस्त रॉबिन वर्मा के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई. राशिद के अनुसार, बाद में हजरतगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी अभय कुमार मिश्रा आए और माफी मांगते हुए कहा कि कुछ गलतफहमी की वजह से पुलिस उन्हें ले आई.
उमर राशिद ने दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दखल के बाद डीजीपी ओम प्रकाश सिंह के कहने पर उन्हें छोड़ा गया. फिलहाल इस मामले में लखनऊ पुलिस के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
श्रोत-NDTV
उमर राशिद ने बताया कि उन्होंने पुलिसकर्मियों से कहा कि वह पत्रकार हैं और उन्होंने अपना आईडी कार्ड भी दिखाया. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनका फोन छीन लिया और बदसलूकी की. राशिद ने कहा कि बाद में उन्हें हजरतगंज कोतवाली ले जाकर एक कमरे में बंद कर दिया गया और उनके साथ लाए गए उनके दोस्त रॉबिन वर्मा के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई. राशिद के अनुसार, बाद में हजरतगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी अभय कुमार मिश्रा आए और माफी मांगते हुए कहा कि कुछ गलतफहमी की वजह से पुलिस उन्हें ले आई.
उमर राशिद ने दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दखल के बाद डीजीपी ओम प्रकाश सिंह के कहने पर उन्हें छोड़ा गया. फिलहाल इस मामले में लखनऊ पुलिस के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
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