विश्वपति वर्मा।
राजधानी लखनऊ से 196 किलोमीटर दूर बस्ती जनपद के एक छोटे से गांव पिटाउट में नेबूलाल जी निवास करते हैं ,उन्होंने कभी किसी चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर हिस्सा नही लिया है लेकिन उसके बाद भी क्षेत्र के लोग उन्हें प्यार से नेता जी और दादाजी कहते हैं।
दादाजी सामाजिक और राजनीतिक माहौल को ज्ञान-विज्ञान ,इतिहास ,भूगोल और गणित के माध्यम से कायदे से समझते हैं ,तर्क वितर्क के माध्यम से बडे-बडे योग्यताधारियों को भी एक बेबाक टिप्पणी से धराशायी कर देते हैं।
दादाजी ने पूरी दुनिया में उपजी समस्याओं के बारे में अध्ययन किया ,देश के अंदर आजादी के पहले और बाद के सैकड़ों नेताओं और क्रांतिकारियों को उन्होंने पढ़ा और जाना , दादाजी ने गांधी जी ,नेताजी सुभाषचंद्र बोस ,भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद ,खुदीराम बोस, जवाहरलाल नेहरू ,सरदार वल्लभ भाई पटेल ,इंदिरा गांधी जैसे तमाम नेताओं और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे लोगों के नीति और नियति को बहुत ही गहराई से समझा ।
आजादी के वर्षों बाद तक चल रहे हिंदुस्तान जैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था और वहां की मूल्यों को समझने और समझाने के लिए दादाजी ने समीक्षा और संवाद किया ,लोकतंत्र के मायने और उसकी मूल परिभाषा को बेहतर तरीके से जानने और फैलाने के लिए अपने जीवन काल खण्डों के 65 वर्ष तक की उम्र तक निरंतर प्रयास किया जिसका परिणाम है कि दादाजी आज पूरी दुनिया की व्यवस्था को लेकर आने वाली समस्याओं और चरमराई हुई अर्थव्यवस्था पर आने वाली आगामी नतीजों को प्रकट कर रहे हैं।
दादाजी का कहना है कि पूरी दुनिया आर्थिक महामारी के मुहाने पर खड़ा है ,पूँजीवादी व्यवस्था ने मेहनतकश और श्रमिक वर्ग के लोगों के खून को चूस लिया है,राजनीतिक गलियारों ने स्वार्थ, सत्ता और लाभ के चक्कर मे दायित्वों और कर्तव्यों को दरकिनार कर दिया है ,भारत जैसे युवा शक्तिशाली देश मे आये दिन हजारों की तादात में अपने हक अधिकार के लिए धरना प्रदर्शन हो रहा है ,बेरोजगारी ने भारत ही नही पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है ,आर्थिक विषमता ने पूरी दुनिया के निम्न और मध्यम वर्ग के 86 फीसदी से अधिक लोगों को कंगाल बना दिया है ,भारत के साथ ही दुनिया के अधिकांश देशों में फैले व्यापक भ्रष्टाचार के चलते नागरिकों को उनके हक अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है ,आदिवासी समुदाय के बड़ी आबादी को बदसे बदतर जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है ,दुनिया भर के 90 फीसदी लोगों के साथ कई तरीकों से अन्याय, अत्याचार और बर्बरता हो रहा है ,करदाताओं के साथ शासन और प्रशासन का सामंजस्य स्थापित नही हो पा रहा है जिसका परिणाम है कि 21 वीं सदी के दूसरे दशक के अंतिम दौर में विश्वयुद्ध सुनिश्चित है।
दादाजी के तर्क को समझने के बाद यह कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि 2020 में ही विश्वयुद्ध हो सकता है ,निश्चित रूप से पूरी दुनिया के हालात ठीक नहीं है ,जो विनाश का कारण बनने के लिए काफी है।वर्तमान समय में भारत ,चीन ,अमेरिका ,इरान ,पाकिस्तान,रूस सहित देशों का अन्य देशों के साथ चल रहे तनावपूर्ण माहौल को देखा जाए तो लगता है कि 2020 में विश्वयुद्ध होना कोई बड़ी बात नही है।
राजधानी लखनऊ से 196 किलोमीटर दूर बस्ती जनपद के एक छोटे से गांव पिटाउट में नेबूलाल जी निवास करते हैं ,उन्होंने कभी किसी चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर हिस्सा नही लिया है लेकिन उसके बाद भी क्षेत्र के लोग उन्हें प्यार से नेता जी और दादाजी कहते हैं।
दादाजी सामाजिक और राजनीतिक माहौल को ज्ञान-विज्ञान ,इतिहास ,भूगोल और गणित के माध्यम से कायदे से समझते हैं ,तर्क वितर्क के माध्यम से बडे-बडे योग्यताधारियों को भी एक बेबाक टिप्पणी से धराशायी कर देते हैं।
दादाजी ने पूरी दुनिया में उपजी समस्याओं के बारे में अध्ययन किया ,देश के अंदर आजादी के पहले और बाद के सैकड़ों नेताओं और क्रांतिकारियों को उन्होंने पढ़ा और जाना , दादाजी ने गांधी जी ,नेताजी सुभाषचंद्र बोस ,भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद ,खुदीराम बोस, जवाहरलाल नेहरू ,सरदार वल्लभ भाई पटेल ,इंदिरा गांधी जैसे तमाम नेताओं और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे लोगों के नीति और नियति को बहुत ही गहराई से समझा ।
आजादी के वर्षों बाद तक चल रहे हिंदुस्तान जैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था और वहां की मूल्यों को समझने और समझाने के लिए दादाजी ने समीक्षा और संवाद किया ,लोकतंत्र के मायने और उसकी मूल परिभाषा को बेहतर तरीके से जानने और फैलाने के लिए अपने जीवन काल खण्डों के 65 वर्ष तक की उम्र तक निरंतर प्रयास किया जिसका परिणाम है कि दादाजी आज पूरी दुनिया की व्यवस्था को लेकर आने वाली समस्याओं और चरमराई हुई अर्थव्यवस्था पर आने वाली आगामी नतीजों को प्रकट कर रहे हैं।
दादाजी का कहना है कि पूरी दुनिया आर्थिक महामारी के मुहाने पर खड़ा है ,पूँजीवादी व्यवस्था ने मेहनतकश और श्रमिक वर्ग के लोगों के खून को चूस लिया है,राजनीतिक गलियारों ने स्वार्थ, सत्ता और लाभ के चक्कर मे दायित्वों और कर्तव्यों को दरकिनार कर दिया है ,भारत जैसे युवा शक्तिशाली देश मे आये दिन हजारों की तादात में अपने हक अधिकार के लिए धरना प्रदर्शन हो रहा है ,बेरोजगारी ने भारत ही नही पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है ,आर्थिक विषमता ने पूरी दुनिया के निम्न और मध्यम वर्ग के 86 फीसदी से अधिक लोगों को कंगाल बना दिया है ,भारत के साथ ही दुनिया के अधिकांश देशों में फैले व्यापक भ्रष्टाचार के चलते नागरिकों को उनके हक अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है ,आदिवासी समुदाय के बड़ी आबादी को बदसे बदतर जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है ,दुनिया भर के 90 फीसदी लोगों के साथ कई तरीकों से अन्याय, अत्याचार और बर्बरता हो रहा है ,करदाताओं के साथ शासन और प्रशासन का सामंजस्य स्थापित नही हो पा रहा है जिसका परिणाम है कि 21 वीं सदी के दूसरे दशक के अंतिम दौर में विश्वयुद्ध सुनिश्चित है।
दादाजी के तर्क को समझने के बाद यह कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि 2020 में ही विश्वयुद्ध हो सकता है ,निश्चित रूप से पूरी दुनिया के हालात ठीक नहीं है ,जो विनाश का कारण बनने के लिए काफी है।वर्तमान समय में भारत ,चीन ,अमेरिका ,इरान ,पाकिस्तान,रूस सहित देशों का अन्य देशों के साथ चल रहे तनावपूर्ण माहौल को देखा जाए तो लगता है कि 2020 में विश्वयुद्ध होना कोई बड़ी बात नही है।