उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेस नेता सदफ़ जफ़र, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और 13 अन्य को एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को जमानत दे दी.अपर सत्र न्यायाधीश एसएस पांडेय की अदालत ने सदफ़, दारापुरी और 13 अन्य से 50-50 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी राशि का निजी मुचलका भरने को कहा है.इससे पहले शुक्रवार को अदालत ने सदफ़, दारापुरी और अन्य की जमानत याचिका पर अपना फैसला शुक्रवार को सुरक्षित रखा था.अदालत ने उनकी व्यक्तिगत अर्जी पर सुनवाई की और सरकारी वकील का पक्ष भी सुना. इसके बाद फैसला सुरक्षित कर दिया.
जिनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई उनमें मोहम्मद नसीम, मोहम्मद शोएब, नफीस, पवन राय अंबेडकर, शाह फ़ैज़ और मोहम्मद अजीज भी शामिल हैं.सरकारी वकील दीपक यादव ने बताया कि हजरतगंज पुलिस ने उक्त आरोपियों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम कानून सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था.आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.सदफ़ जफ़र की गिरफ्तारी पर कांग्रेस नेताओं ने उन्हें जेल में प्रताड़ित करने और पीटने का आरोप लगाया था. यूपी पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.सदफ़ का बीते 19 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था. लखनऊ में बीते 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के दौरान जब परिवर्तन चौक पर शरारती तत्वों ने पुलिस पर पत्थर फेंकना शुरू किया तो सदफ़ इसे फेसबुक पर लाइव रिकॉर्ड कर रही थीं, जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया तब भी वह लाइव थीं.वहीं 76 वर्षीय कैंसर के मरीज एसआर दारापुरी को बीते 18 दिसंबर को नज़रबंद करने के अगले दिन 19 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था. पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी साल 2003 में रिटायर होने के बाद से ही मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे हैं.एक फेसबुक पोस्ट में दारापुरी के पोते सिद्धार्थ दारापुरी ने कहा था, ‘मेरे दादा ने अन्याय के खिलाफ लड़ाई कभी नहीं रोकी. वह जेल में मुस्कुरा रहे थे और जब पुलिस उन्हें ले जा रही थी तब भी वे मुस्कुरा रहे थे.’मालूम हो कि नागरिकता कानून के विरोध में 19 दिसंबर को हुई हिंसा के मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर में 34 लोगों के नाम हैं, जिनमें सदफ़ जफर, वकील मोहम्मद शोएब, ऋषि मंच के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कबीर भी हैं. 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.