UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा -* - तहक़ीकात समाचार

ब्रेकिंग न्यूज़

Post Top Ad

Responsive Ads Here

मंगलवार, 14 जनवरी 2020

UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा -*

*UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा -*





उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकारों का दायरा भी बड़ा हो जाएगा। हालांकि मुंबई, कोलकता व दिल्ली में लागू कमिश्नर प्रणाली की भांति अब भी अब प्रदेश में पुलिस के पास आबकारी लाइसेंस, सराय एक्ट व चलचित्र अधिनियम के तहत लाइसेंस देने का अधिकार नहीं होगा। यह अधिकार मजिस्ट्रेट के पास ही सुरक्षित रहेगा। बताया गया कि जब इन अधिकारों को लेकर चर्चा छिड़ी तो आईपीएस अधिकारियों ने इन्हें हासिल करने के लिए ज्यादा जोर भी नहीं लगाया।लंबे समय से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कराने के लिए कसरत कर रहे आईपीएस अधिकारी इस बार यह मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। इन मुद्दों पर उन्होंने रणनीति के तहत खामोशी को चुना। आईएएस अधिकारी भी सारे अधिकार अपने हाथों से निकलने नहीं देना चाह रहे थे। भले ही आइएएस अधिकारियों ने कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने का खुलकर विरोध नहीं किया, लेकिन लाइसेंस देने के प्रमुख अधिकारों को लेकर उन्होंने अपने सभी दांव जरूर चले।दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत पुलिस को धारा 107/116 के तहत किसी को पाबंद करने के साथ-साथ रास्ते के विवाद में आदेश देकर उसे खाली कराने का अधिकार भी होगा। लोक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस धारा -144 लागू करने के साथ ही शांतिभंग करने की आशंका में किसी व्यक्ति का धारा-151 के तहत चालान करने के साथ ही एसडीएम की तरह उसे सुनवाई कर आरोपित को जेल भेजने अथवा जमानत पर छोड़ने का अधिकार पुलिस के पास होगा।कारागार में अब चेकिंग करने का अधिकार भी पुलिस आयुक्त के पास होगा। अब तक जेलों में डीएम के साथ ही एसएसपी/एसपी निरीक्षण करने जाया करते थे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पुलिस आयुक्त के पास किसी बंदी की सात-आठ दिनों की पैरोल मंजूर करने का अधिकार भी होगा। पुलिस कमिश्नर के पास अब विष से जुड़े मामलों, अनैतिक देह व्यापार, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े मामलों से लेकर पशु क्रूरता के मामलों में भी कार्रवाई करने की शक्ति होगी।पुलिस आयुक्त के परिभाषित अधिकारों में एनएसए के तहत कार्रवाई करने का अधिकार निहित है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार इसी प्रकार पुलिस आयुक्त को शस्त्र अधिनियम के तहत लाइसेंस देने का अधिकार भी है। उत्तर प्रदेश में इस नई प्रणाली को लागू किए जाने के बाद शस्त्र लाइसेंस निर्गत करने के अधिकार को लेकर अभी आईएएस व आईपीएस संवर्ग के बीच खींचतान जरूर देखने को मिलेगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि शस्त्र अधिनियम, सरांय एक्ट, आबकारी अधिनियम, चलचित्र अधिनियम, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट समेत कई अधिकार डीएम के पास ही रहेंगे।दिल्ली में होमगार्ड विभाग पर पुलिस कमिश्नर का नियंत्रण है। उत्तर प्रदेश में अभी इसे लेकर चर्चा नहीं हो सकी है। यहां होमगार्ड पर नियंत्रण अभी डीएम का ही रहेगा।पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए सरकार ने आइपीएस व पीपीएस संवर्ग के आवश्यक पदों को समायोजन से भरे जाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा अन्य संसाधनों को वर्तमान में उपलब्ध बजट से ही पूरा किया जाएगा। बताया गया कि लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से विभाग पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा
ये नई शक्तियां मिलीं

1. पुलिस लागू कर सकेगी धारा 144। दंड प्रकिया संहिता की धारा 58 व अध्याय आठ (शांति और सदाचार के लिए) और अध्याय 10 (लोक व्यवस्था व शांति बनाए रखना) में परिभाषित मजिस्ट्रेट की कार्यशक्तियां होंगी।
2. उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 (उप्र अधिनियम संख्या आठ वर्ष 1971) के विधिक अधिकार होंगे।
3. विष अधिनियम-1919 के विधिक अधिकार होंगे।
4. अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम-1956 के विधिक अधिकार होंगे।
5. पुलिस (द्रोह-उद्दीपन) अधिनियम-1922 के विधिक अधिकार होंगे।
6. पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम-1960 के विधिक अधिकार होंगे।
7. विस्फोटक अधिनियम-1844 के विधिक अधिकार होंगे।
8. कारागार अधिनियम-1894 के विधिक अधिकारी होंगे।
9. सरकारी गोपनीय अधिनियम-1923 के विधिक अधिकार होंगे।
10. विदेशी अधिनियम-1946 के विधिक अधिकार होंगे।
11. गौर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 के विधिक अधिकार होंगे।
12. भारतीय पुलिस अधिनियम-1861 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
13. उप्र अग्निशमन सेवा अधिनियम-1944 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
14. उप्र अग्नि निवारण व अग्नि सुरक्षा अधिनियम-2005 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
15. उप्र गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम-1986 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।

 रिपोर्ट
पीसी चौधरी
मैनेजिंग एडिटर तहकीकात समाचार लखनऊ

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages