दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर जिन्होंने बुधवार को केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को राजधानी में हिंसा रोकने में असफल रहने पर फटकार लगाई थी, का तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया है. दिल्ली में हिंसा की घटना में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. जस्टिस मुरलीधर के तबादले का नोटिफिकेशन केंद्र सरकार ने बुधवार रात जारी किया. गौरतलब है कि सुप्रीट कोर्ट द्वारा तबादले की अनुशंसा 12 फरवरी को की गई थी लेकिन नोटिफिकेशन दो हफ्ते बाद जारी किया गया है.
सरकारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संविधान के आर्टिकल 222 के तहत,सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुशंसा पर राष्ट्रपति जस्टिस मुरलीधर का दिल्ली हाईकोर्ट के जज से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के तौर पर तबादला करते हैं. जस्टिस मुरलीधर अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज का कार्यभार संभालेंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट की बार असोसिएशन ने पिछले हफ्ते तबादले की निंदा की थी और सुप्रीम कोर्ट से फैसला वापिस लेने की अपील भी की थी. इससे पहले दिल्ली हिंसा को लेकर बुधवार को जस्टिस मुरलीधर ने कहा था कि हम देश में दोबारा 1984 जैसी घटना होने नहीं दे सकते.
जस्टिस मुरलीधर ने केंद्र और दिल्ली सरकार को मिलकर हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए कहा था. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, अभय वर्मा और प्रवेश वर्मा के बयानों की वीडियो दिखाई गई थी. कोर्ट हिंसा भड़काने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर सुनवाई कर रहा था.
सरकारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संविधान के आर्टिकल 222 के तहत,सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुशंसा पर राष्ट्रपति जस्टिस मुरलीधर का दिल्ली हाईकोर्ट के जज से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के तौर पर तबादला करते हैं. जस्टिस मुरलीधर अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज का कार्यभार संभालेंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट की बार असोसिएशन ने पिछले हफ्ते तबादले की निंदा की थी और सुप्रीम कोर्ट से फैसला वापिस लेने की अपील भी की थी. इससे पहले दिल्ली हिंसा को लेकर बुधवार को जस्टिस मुरलीधर ने कहा था कि हम देश में दोबारा 1984 जैसी घटना होने नहीं दे सकते.
जस्टिस मुरलीधर ने केंद्र और दिल्ली सरकार को मिलकर हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए कहा था. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, अभय वर्मा और प्रवेश वर्मा के बयानों की वीडियो दिखाई गई थी. कोर्ट हिंसा भड़काने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर सुनवाई कर रहा था.