विश्वपति वर्मा-
देश मे लॉकडाउन का फैसला सरकार के गलत नीतियों में उलझ गया जिसका परिणाम है कि 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं और हम कोरोना वायरस को तीसरे स्टेज में जाता हुआ देख रहे हैं।
पहली गलती सरकार ने यह किया कि वह फरवरी के महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन के चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया जिसके कारण लॉकडाउन की स्थिति तब बनी जब भारत मे तेजी से संक्रमित व्यक्ति दिखाई देने लगे और ऐसे समय मे लॉकडाउन करने का फैसला लिया गया जब 30 करोड़ से ज्यादा लोग दिल्ली ,मुम्बई ,गुजरात ,और अन्य बड़े नगरों के शहरों में फंसे हुए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी राज्यों के सरकारों और केंद्र सरकार को स्क्रीनिंग की व्यवस्था कराते हुए कोविड-19 से सुरक्षित लोगों को सरकारी बसों और उनके निजी गाड़ियों द्वारा उनके घर भेजवा कर उन्हें आइसोलेशन के लिए कहा जाए।
क्योंकि ताजा आंकड़ों के अनुसार देश भर में 40 लाख से ज्यादा लोग पैदल अपने घरों के लिए निकल चुके हैं वहीं 30 लाख गाड़ियां सड़कों पर फंसी हुई हैं और इन्ही लोगों की वजह से लॉकडाउन सफल होने में असफल दिखाई दे रहा है ।
देश मे लॉकडाउन का फैसला सरकार के गलत नीतियों में उलझ गया जिसका परिणाम है कि 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं और हम कोरोना वायरस को तीसरे स्टेज में जाता हुआ देख रहे हैं।
पहली गलती सरकार ने यह किया कि वह फरवरी के महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन के चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया जिसके कारण लॉकडाउन की स्थिति तब बनी जब भारत मे तेजी से संक्रमित व्यक्ति दिखाई देने लगे और ऐसे समय मे लॉकडाउन करने का फैसला लिया गया जब 30 करोड़ से ज्यादा लोग दिल्ली ,मुम्बई ,गुजरात ,और अन्य बड़े नगरों के शहरों में फंसे हुए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी राज्यों के सरकारों और केंद्र सरकार को स्क्रीनिंग की व्यवस्था कराते हुए कोविड-19 से सुरक्षित लोगों को सरकारी बसों और उनके निजी गाड़ियों द्वारा उनके घर भेजवा कर उन्हें आइसोलेशन के लिए कहा जाए।
क्योंकि ताजा आंकड़ों के अनुसार देश भर में 40 लाख से ज्यादा लोग पैदल अपने घरों के लिए निकल चुके हैं वहीं 30 लाख गाड़ियां सड़कों पर फंसी हुई हैं और इन्ही लोगों की वजह से लॉकडाउन सफल होने में असफल दिखाई दे रहा है ।