प्रदेश में करीब 4500 एंबुलेंस तैनात हैं.इसमें करीब 17000 हजार कर्मचारी हैं, जिसमें एंबुलेंस ड्राइवर, आपातकालीन तकनीशियन आते हैं. ये कर्मचारी निजी कंपनी यानी जीवीके के साथ अनुबंध पर हैं.
कर्मचारियों ने खत लिखकर मांग की है कि एंबुलेंस में खुद के सुरक्षा के लिए उपकरण जैसे- मास्क, ग्लब्स, सेनेटाइजर, पीपीई, हैंडवाश आदि की कमियों की पूरा करें.वहीं, जनवरी से लेकर अब तक दोनों माह की सैलेरी तत्काल रूप में रिलीज की जाए.साथ ही कोरोना जैसी महामारी में काम करने के लिए प्रोत्साहन राशि सैलरी में वृद्धि के साथ दी जाए. कर्मचारियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा 50 लाख का बीमा देने का हुआ है, वह तत्काल प्रभाव से हमारे एंबुलेंस कर्मचारियों पर लागू की जाए.इन मांगों के साथ कर्मचारियों का कहना है कि अगर सेवा प्रदाताओं की इन सभी मांगों की पूर्ति नहीं की जाती है तो हम सभी मजबूर होकर 31 मार्च को कार्य स्थगित कर घर लौट जाएंगे.
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश के जीवनदायी स्वास्थ्य विभाग यानी 108 व 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है .मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एंबुलेंस कर्मचारी संघ का आरोप है कि उन्हें कोरोना वायरस महामारी के दौरान सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें जनवरी से वेतन भी नहीं मिला है.उत्तर प्रदेश में 102 और 108 की आपातकालीन एंबुलेंस सेवा एक निजी कंपनी ‘जीवीके’ उपलब्ध कराती है जो कि उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत कॉन्ट्रैक्ट पर है.