विश्वपति वर्मा-
1 महीने के लॉकडाउन ने पूरे देश के चिंतकों को यह समझने के लिए विवश कर दिया है कि साम्रज्यवाद के अस्तित्व को पूरी तरह से खत्म करने के बाद ही असली समाजवाद पैदा होगा, देश ही नही पूरी दुनिया में यह दिख गया है कि साम्राज्यवाद देश की 90 फीसदी जनता को गुलामी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है ,आज जब कोरोना वायरस के चलते देश दुनिया मे तालाबंदी है तब भारत जैसे देशों में खूब देखने को मिला है कि यहां कि 86 फीसदी जनता मूलभूत आवश्यकताओं के लिए परेशान है जिसमे मात्र खाने पीने की वस्तुएं शामिल हैं ,इस दौरान गाड़ी ,मकान ,ज्वैलरी ,परिधान इत्यादि को बटोरने की होड़ लोगों में नही दिखाई दी बल्कि देश की एक बड़ी आबादी जीवन जीने के लिए राशन और सब्जी के बंदोबस्त करने के लिए परेशान दिखाई दे रही है।
वहीं मुठ्ठी भर लोग इन्ही मेहनकश लोगों द्वारा उपजाए गए सामग्रियों के बदौलत एयरकंडीशनर कमरे में बैठ कर देश के गरीबों और लाचारों से लॉकडाउन का पालन करने के लिए अपील कर रहे हैं।
अब कायदे में इस बात को देश के प्रत्येक बुद्धजीवियों को समझना होगा कि समूचे हिंदुस्तान से साम्रज्यवाद का नाश करने के लिए इंकलाब के नारे को बुलंद करते हुए देश भर के कोने कोने में व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर उसपर जीत हासिल करना होगा अगर ऐसा करने में देरी किया जाएगा तो निश्चित तौर पर अबकी बार किसी नई तबाही में समूचे विश्व को आवश्यक सामानों के लिए मोहताज होना पड़ेगा उदाहरण स्वरूप अगले 30 वर्षों में दुनिया भर में पानी की कमी हो जाये तो इसका परिणाम सबसे पहले किसे भुगतना पड़ेगा।