फर्जी राष्ट्रवादी समूहों के नकली पत्रकारों ने फ्रोफेसर जीडी अग्रवाल की हत्या पर गला फाड़कर क्यों नही चिल्लाया - तहक़ीकात समाचार

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रविवार, 26 अप्रैल 2020

फर्जी राष्ट्रवादी समूहों के नकली पत्रकारों ने फ्रोफेसर जीडी अग्रवाल की हत्या पर गला फाड़कर क्यों नही चिल्लाया

विश्वपति वर्मा-

ब्राह्मण जाति के पांच लोगों की हत्या पर चुप्पी साधने वाली मीडिया को यदि संतों से प्यार है तो अर्नव गोस्वामी और सुधीर चौधरी जैसे नकली हिंदुत्व के रखवाले को प्रोफेसर जीडी अग्रवाल पर डिबेट चलाना था ,बात पुरानी नही हुई है जब प्रोफेसर जीडी अग्रवाल 2018 में गंगा बचाओ अभियान के लिए अनशन पर थे और 112 दिन के बाद उनका सुनियोजित तरीके से हत्या कर दिया गया लेकिन सरकार की सेवा में मस्त मीडिया समूहों के पत्रकारों ने इसको मुद्दा नही बनाया और आज ये समाज के नकली पत्रकार  पालघर हत्या पर हिंदुत्व के हितैषी बने हुए हैं।
मित्रों हत्या किसी का भी हो और कोई भी करे इसे हर बार भारत में धार्मिक रंग देने का चलन चल पड़ा है लेकिन जहां तक मैं जानता हूँ कि हत्या करने वाला व्यक्ति हत्यारा और अपराधी होता है लेकिन उसके बावजूद भी भारतीय मीडिया के पत्रकार खुद न्यायालय हो जाते हैं और भड़काऊ डिबेट के माध्यम से समाज को साम्प्रदायिक हिंसा में बदलने का कार्य करते हैं।आखिर समाज का बुद्धजीवी वर्ग कब तक चुप्पी साधे रहेगा ,सोचिए ,विचार कीजिये और सवाल कीजिये फर्जी राष्ट्रवाद की नकली हितैषियों से।

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