कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगाए लॉकडाउन की मार उद्योग-धंधों पर बुरी तरह से पड़ी है. बाजार में मांग कम होने से उत्पादन कम हो रहा है और फैक्टरियों से मजदूर, कामगार की या तो नौकरी जा रही है या फिर उनकी सैलरी में कटौती हो रही है. सबसे ज्यादा प्रभावित असंगठित क्षेत्र के मजदूर हुए हैं. रियल सेक्टर में काम बंद होने से कई बड़े प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं और मजदूरों के पास काम नहीं है. कंपनियों और फैक्टरियों को घाटा हो रहा है. उद्योग धंधों को इससे उबारने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अगले तीन सालों तक श्रम कानूनों में छूट देने का फैसला किया है. जिसका विरोध विपक्ष के साथ-साथ आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने किया है.
जारी आदेश के मुताबिक कोई कर्मचारी किसी भी कारखाने में प्रति दिन 12 घंटे और सप्ताह में 72 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा . पहले यह अवधि दिन में 8 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे थी .
12 घंटे की शिफ्ट के दौरान 6 घंटे के बाद 30 मिनट का ब्रेक दिया जाएगा . 12घंटे की शिफ्ट करने वाले कर्मचारी की मजदूरी दरों के अनुपात में होगी यानी अगर किसी मजदूर की आठ घंटे की 80 रुपये है तो उसे 12 घंटे के 120 रुपये दिए जाएंगे . आपको बता दें कि पहले ओवर टाइम करने पर प्रतिघंटे सैलरी के हिसाब से दोगुनी सैलरी मिलती थी .