विश्वपति वर्मा-
एयरकंडीशनर कमरे में बैठ कर पीएम नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह देश के कारीगरों ,मजदूरों सहित सभी श्रमिकों को बधाई भेंट कर रहे हैं ,किस बात की बधाई ?कैसा संदेश?क्या मिलेगा उन्हें इससे ?
ईंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं, 50 रुपया रोज पर स्कूलों में खाना बनाने वाली रसोइया के घर घरेलू सामानों का अकाल रहता है, सब्जी मंडी और गल्ला मंडी में बोरियां ढोने वाले लोगों के बदन दर्द से कराह जाते हैं, रिक्शा चलाने वाला एक श्रमिक मेहनत करते करते कुपोषण के तरफ चला जाता है ,लकड़ी ,पत्ता ,कबाड़ बीन कर जीवन यापन करने वाले महिला और पुरुषों का जीवन बद से बदतर है , बडे बडे फार्म हाउसों और बागवानियों में काम करने वाले मजदूर बस पेट भरने के लिए जी रहे हैं इसके अलावां पत्थर काटने ,लकड़ी काटने ,सड़क और पुल निर्माण करने वाले मजदूरों की स्थिति भी हाशिये पर है .एक लाइन में यह भी कह लिया जाए कि देश भर के मजदूरों की दशा बेहद खराब और चिंताजनक है .
खराब इसलिए है क्योंकि मेहनत के हिसाब से न तो उनको पैसा मिल रहा है और न ही उन्हें उस तरह का भोजन मिल पा रहा है जो उनके शरीर के लिए पोषकतत्वों की जरूरत को पूरा करे .इनकी स्थिति देखकर चिंतित होना भी स्वाभाविक है हमने कई सेक्टर में काम करने वाले मजदूरों का हाल देखा है जहां पर वे काम भी करते हैं और वहीं खाना बनाते हैं और वहीं सोते हैं यानी कि जिस तरह की घुम्मकड़ जिंदगी हुआ करती थी जहां शाम वहीं सवेरा ठीक उसी तरह से मजदूरों के एक बड़े वर्ग का हाल है जो अपनी बदहाली में जिंदगी जी रहे हैं, उनके बच्चे वहीं साथ मे रहते हैं न उनके पढ़ने की व्यवस्था है और न ही उन्हें पौष्टिक आहार मिल पा रहा है ,उनके बच्चों को न तो शैक्षणिक, सामाजिक और मानसिक रूप से मजबूत होने का मौका मिल पा रहा है और न ही किसी संस्था द्वारा उन्हें उनके दशा से बाहर निकालने का ईमानदार प्रयास किया गया है. जो किया भी गया वह केवल कागजी और दिखावा है .
इसलिए देश के सत्ताधारियों को यह ध्यान देना जरूरी है कि केवल बधाई देने से मजदूरों का भला होने वाला नही है इसके लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के श्रमिक वर्ग को उचित मजदूरी मिले और कोयला खदानों से लेकर ईंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को शिक्षा ,चिकित्सा और पौष्टिक आहार देने का गाइड लाइन तैयार हो ,जिससे उनके बच्चे भी सामाजिक और मानसिक रूप से मजबूत होकर समाज की मूलधारा में आने का प्रयास कर सकें।