विश्वपति वर्मा-
भ्रष्टाचार मुक्त करने के दावे करने वाली सरकार में ग्राम पंचायत से लेकर मुख्यमंत्री के कुर्सी तक भ्रष्टाचार की शाखाएं फैली हुई हैं, हर शाखा पर जिम्मेदार बैठा है जहां घूसखोरी ,कालाबाजारी और कमीशनखोरी के जरिये जनता का धन लूट कर अपनी तिजोरी भर रहा है।
सीएम योगी आदित्यनाथ को शायद न पता हो लेकिन सचिवालय से लेकर गांव के शौचालय तक मे लूट चल रहा है कहीं नौकरी दिलवाने के नाम पर रिश्वत लिया जा रहा है तो कहीं ठेका-पट्टा के नाम पर कमीशनखोरी हो रहा है जैसे जैसे सीढ़ी से चढ़ते उतरते आप आगे बढ़ेंगे वैसे ही आपको भ्रष्टाचार की बड़ी जड़ें दिखाई पड़ेंगी।
निचली इकाई से शुरू कर लीजिये तो कोटेदार ,सिपाही ,सेक्रेटरी ,मुंसी ,बाबू आदि का शोषण हो रहा है आरोप है कि इनके ऊपर के अधिकारी अपने कर्मचारियों से पैसा चाहते हैं पैसा न देने पर कोटे की दुकान का निलंबन ,पुलिस पर विभागीय कार्यवाई, सेक्रेटरी पर जांच और अन्य पर भी गाज गिरने लगता है।
और एक सीढ़ी चढ़ जाइये थानेदारी से लेकर तहसील और ब्लॉक की प्रमुख कुर्सियां भी बेदाग नही हैं यहां तो 5 लाख से लेकर 20 लाख रुपये में थाना बिकता है अब कौन इंस्पेक्टर होगा जो इतना पैसा इन्वेस्टमेंट करेगा .फिलहाल इसमे कोई शक नहीं है लोग निवेश कर रहे हैं और थाना ले रहे हैं।
तहसील पर चले जाइये राजस्व और चकबंदी के अधिकरी एक-एक गांव से करोड़ो रूपये जमीन जायदाद और संपत्ति को दाएं-बाएं करने के लिए उठा चुके हैं .रुपया भी चवन्नी-अठन्नी में नही गया है मोटी मोटी गड्डियां काश्तकारों से ली गई है उसके बाद भी जनता की समस्या की फाइल अभी दफ्तर के कोने में पड़ी मिल जाएगी यानी कि साफ है कि सेवा शुल्क देने के बाद भी लोगों को मुख्यालय का चक्कर लगाना है.
विकास की सबसे बड़ी बड़ी घोषणाएं पंचायती राज और ग्राम विकास से होती हैं लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें और शाखायें भी यहाँ खूब फैली हुई है सेक्रेटरी, जेई ,बीडीओ से लेकर और ऊपर के अधिकारी को कमीशन चाहिए पैसा कहाँ से आएगा यह सब जानते हैं लेकिन बोलता कोई नही है. आवास ,शौचालय ,पेंशन ,मनरेगा इत्यादि में कमीशनखोरी होता है विकास की परिभाषा बताने वाले प्रधान इसमे निचली इकाई से पैसा उठाने का काम करते हैं और अपने ही जनता के धन को ब्लॉक से लेकर विकास भवन के दफ्तरों तक कमीशन में बांट देते हैं।
जिला पंचायत, आरटीओ ,पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, जल निगम ,बिजली विभाग में बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है यहां भी घूसखोरी और कमीशनखोरी का बहुत बड़ा नेटवर्क है .यहां का पैसा भी कमजोर नही है अधिकारी और नेताओं से लेकर बड़े बड़े रसूखदार लोगों का यहां सिक्का चलता है उसके बाद टेंडर की हेराफेरी और काम के बदले दाम देने की परंपरा ने यहां व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार फैलाया है . यहां भी पैसा पहले ऊपर से नीचे आता है उसके बाद बंदरबांट का मैप तैयार होने के बाद कमीशनखोरी का पैसा मुख्यमंत्री के ऑफिस तक जाता है .
इतना सब कुछ होने के बाद भी भ्रष्टाचार मुक्त सरकार है ,सबका साथ सबका विकास है और अच्छे दिनों के नारे गढ़े जा रहे हैं।