विश्वपति वर्मा
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश से झूठ बोल गए लेकिन तानाशाही रवैया अपनाने वाले पीएम मोदी से कोई सवाल न पूछे यही तो वह चाहते हैं।
भारत चाइना के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल पर जो झड़प हुई है उसमें मोदी सरकार बहुत कुछ छिपा रही है सच तो यह है कि चीनी सेना ने 23- 24 मई को ही लद्दाख के गलवान घाटी के दक्षिण पूर्व भारतीय सीमा में 3 किलोमीटर अंदर घुसकर कब्जा कर लिया था उसके बाद से यह स्थिति गंभीर होती गई।
भारतीय सेना चाहती थी कि चीनी सेना पीछे जाए लेकिन उसके बाद भी चाइना पैंगोंग झील की तरफ जून महीने के शुरुआती दिनों में निर्माण करते हुए भारतीय सीमा में आगे बढ़ रहा था।
एक और रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना 24 मई के बाद और जून के पहले हप्ते के बीच भारतीय सीमा में 4 से साढ़े चार किलोमीटर अंदर तक घुस चुकी थी ।
इस बीच चल रहे दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच बात चीत के दौरान 7 जून से 13/14 जून तक भारतीय सेना उसी साढ़े चार किलोमीटर सीमा से बाहर चीनी सेनाओं को खदेड़ना चाहती थी लेकिन 15 जून को चीनी सेनाओं ने भारतीय सेनाओं पर हमला बोल दिया जिसमे 20 सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।इसके अलावा 56 जवान चीनी सेना के हमले में घायल भी हुए थे जिनका इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
अब सवाल मोदी सरकार पर है कि वह मई के शुरुआती महीनों से क्या कर रही थी? भले ही समझौते के अनुसार पेट्रोलिंग करते हुए हथियार नही रखना है लेकिन क्या आत्मरक्षा के लिए सेनाओं के पास हथियार नही होने चाहिए थे? जब सरकार और गृहमंत्री को पता था कि सीमा पर तनाव है तो सेना को निहत्था क्यों भेजा गया? जब सरकार को यह पता था कि चीनी सेना भारतीय सीमा में घुस गई है तो वह समय रहते ठोस निर्णय लेने में असफल क्यों रही ऐसे ही बहुत सारे सवाल खड़े होते हैं सरकार के ऊपर।