भ्रष्टाचार-रामनगर ब्लॉक के अशिक्षित प्रधान ने किया बड़ा घोटाला ,गांव की तस्वीर देख कर जिम्मेदार हो जाएंगे शर्मसार - तहक़ीकात समाचार

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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

भ्रष्टाचार-रामनगर ब्लॉक के अशिक्षित प्रधान ने किया बड़ा घोटाला ,गांव की तस्वीर देख कर जिम्मेदार हो जाएंगे शर्मसार

समीक्षात्मक रिपोर्ट
ग्राउंड जीरो से विश्वपति वर्मा(सौरभ) की रिपोर्ट

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ सबका साथ सबका विकास के नाम पर चाहे जितनी सुर्खियां बटोर लें लेकिन जब धरातल पर पहुंच कर ग्रामीण अंचल में जीवन यापन करने वाले लोगों की वर्तमान परिदृश्य की समीक्षा की जाती है तो पता चलता है कि निचली इकाई में झूठ और लूट के अलावा कुछ नही है।
आइये आपको हम ऐसे ही एक ग्राम पंचायत में लेकर चलते हैं जहां समग्र एवं समेकित विकास के नाम पर सरकारी धन का प्रयोग जमकर किया गया लेकिन करोड़ो रूपये का धन खर्च करने के बाद भी गांव की बदहाली खत्म नही हुई .यहां की तस्वीर देख कर सीएम योगी भी आंसू बहाते नजर आएंगे।

जिला मुख्यालय बस्ती से 40 किलोमीटर दूर रामनगर ब्लॉक के जोगिया पाठक गांव में जाकर हमने ग्राम विकास और पंचायती राज व्यवस्था की योजनाओं की समीक्षा की तो पता चला गांव के लोग बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

जोगिया पाठक ग्राम पंचायत के धौराहरी पुरवे पर हम पहुंचे तो दिखाई दिया कि सड़कों पर बदबूदार कीचड़ और पानी जमा होने के नाते लोग लकड़ी के बोटे पर चलने को मजबूर हैं ,सड़क के नाम पर जनता का सबसे ज्यादा बेइज्जती अगर कहीं हुई होगी तो उसमें सबसे पहला नाम जोगिया पाठक का आएगा।
इसी गांव में स्थानीय लोगों से बात करते हुए और आगे बढ़े तो पता चला कि पूरे गांव की दशा और दिशा खराब है जहां ह्यूमन पाइप पर 4 लाख से ज्यादा रुपया खर्च होने के बाद भी गांव से पानी निकासी की कोई मामूली व्यवस्था भी नही है जिसके कारण यहां के लोग दलदल में चलने को मजबूर हैं।
ग्राम पंचायत के दस्तावेज में ह्यूमन पाइप और नाली निर्माण के नाम पर खूब धन लुटाया गया लेकिन जमीनी हकीकत देखने के बाद पता चलता है कि ग्राम विकास की बातें केवल कागजी हैं।
देश भर में स्वच्छ पेय जल के नाम पर सरकार द्वारा बनाये जाने वाले बजट का मूल्य बढ़कर 21 हजार करोड़ से ज्यादा का हो गया है लेकिन उस बजट से ग्राम पंचायत के लोगों को कितना लाभ मिलता है यहाँ तो गांव के लोगों ने ही सवाल खड़ा कर दिया।

ग्राम पंचायत जोगिया पाठक में हैंडपंप रीबोर और मरम्मत के नाम पर दिसंबर 2018 से लेकर जून 2019 तक यानी कि 6 महीने में 5 लाख 5 हजार 88 रुपया खर्च किया गया है लेकिन गांव के सलिक राम का कहना है कि हमारे गांव में एक हैंडपंप वर्षों से बंद है और एक दूसरे खराब हुए हैंडपंप को बनवाने के लिए गांव के लोगों ने चंदा (जन सहयोग ) जुटाया है। तब जाकर हैंडपंप सही हो पाया है।

ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन योजना भी केवल कागजों में शोभा बढ़ा रही है ग्राम पंचायत के अंदर जगह जगह कूड़े और गंदगी का ढेर है जबकि  वर्ष 2019 में सफाई कर्मी किट के खरीददारी के नाम पर ग्राम पंचायत के खाते से 16000 रुपया खर्च किया गया।


ग्राम विकास के नाम पर प्रधान और सचिव द्वारा जब जरूरत पड़ी तब पैसा खारिज कर लिया गया लेकिन ग्राम निधि के पैसे को ग्राम पंचायत में खर्च करने की बजाय अपने निजी जरूरत पर खर्च किया गया अगर ऐसा न किया गया होता तो ह्यूमन पाइप पर लाखों रुपया खर्च करने के बाद पानी निकासी की यह बदहाल व्यवस्था दिखाई नही पड़ती
स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर देश के प्रधानमंत्री से लेकर के देश के जिम्मेदारों द्वारा खूब ढोल पीटा गया लेकिन स्वच्छ भारत मिशन का जमीनी हकीकत क्या है यह देखने के लिए ना तो कभी ग्राम पंचायत में अधिकारी आते हैं और ना ही जिम्मेदार जनों का कोई दल जिसका परिणाम है कि स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर अरबों रुपया खर्च करने के बाद भी सरकार के सारे सपने चकनाचूर हो गए ।

कागजों की बात की जाए तो जोगिया पाठक ग्राम पंचायत ओडीएफ हो चुका है लेकिन जब जमीन पर उतर कर वहां की वास्तविक हकीकत को जानने का प्रयास किया जाएगा तो पता चलता है 70 फ़ीसदी से अधिक लोग खुले में शौच आज भी जा रहे हैं।
यह सब तो मात्र एक उदाहरण है लेकिन जोगिया पाठक ग्राम पंचायत के अशिक्षित प्रधान नूरजहाँ ने ग्रामनिधि के धन का किस तरह से दुरपयोग किया है वह सरकारी दस्तावेजों और जमीनी हकीकत को देखने के बाद पता चलता है।

ग्राम पंचायत में साफ सफाई की व्यवस्था ध्वस्त है ,पानी निकासी की बदहाल व्यवस्था है ,स्वच्छ पेय जल के नाम पर आज भी दूषित पानी पीने के लिए ग्रामीण मजबूर हैं, मनरेगा के पैसे का बंदरबांट है ,स्कूल में शौचालय और इंटरलॉकिंग कार्य के नाम पर 8 लाख रुपये का धन खर्च किया गया जिसमे आधे से ज्यादा भ्रष्टाचार है। खड़ंजा मरम्मत के नाम धन को बर्बाद किया गया इसी तरह कई प्रकार की योजनाओं के नाम पर सरकारी धन को मनमानी तरीके से लूटा गया जिसका परिणाम है कि आजादी के 7 दशक बाद गांव के लोगों को एक अच्छी सड़क भी नसीब नही हो पाई।

इस सम्बंध में ग्राम प्रधान नूरजहां से हमने बात किया तो वह कुछ बोलने से इनकार हो गईं  और अपने लड़के को बात करने के लिए कहा ,महिला प्रधान के लड़के से नाम पूछा गया तो उसने बताया कि हम बाहर रहते हैं, मम्मी पढ़ी लिखी नही हैं हम लोग प्रधानी के बारे में कुछ नही बता पाएंगे. इस बारे में पिता जी जानते हैं वह घर पर नही हैं। 

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