सौरभ वर्मा-
फूलन देवी का नाम आपने जरूर ही सुना होगा. फूलन देवी एक ऐसा नाम है जो अस्सी के दशक में चंबल समेत पूरे देश में चर्चित था. हाल यह था कि फूलन देवी (Phoolan Devi) का नाम सुन कर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे.
बड़े से बड़े नेता और मंत्री भी फूलन देवी का नाम सुन कर डरते थे. आज फूलन देवी की पुण्यतिथि है और संयोग यह है कि जिस दिन फूलन देवी की हत्या हुई थी उस दिन भी नागपंचमी था और आज 19 साल बाद उनके पुण्यतिथि पर एक बार फिर नागपंचमी का दिन है।
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के पुरवा गांव में हुआ था. फूलन देवी एक मल्लाह परिवार की थीं इस वजह से तथाकथित ऊंची जाति के लोग उनसे घृणा करते थे.
फूलन देवी बैंडिट क्वीन (Bandit Queen) के नाम से चर्चित थीं. जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरे भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी. दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं.फूलन का पति उन्हें प्रताणित करता रहता था. जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन देवी ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया.
फूलन देवी जब 15 साल की थीं तब गांव के ठाकुरों ने उनका गैंग रेप किया. इतना ही नहीं यह गैंग रेप उन्होंने फूलन के माता-पिता के समाने किया. फूलन देवी ने कई जगह न्याय की गुहार लगाई लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा का सामना करना पड़ा. नाराज दबंगों ने फूलन का चर्चित दस्यु गैंग से कहकर अपहरण करवा लिया. डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन का रेप किया. जिसकी वजह से फूलन बहुत ही कठोर बन गईं.
अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया. 14 फरवरी 1981 को बहमई में फूलन देवी ने एक लाइन में 22 ठाकुरों को खड़ा करके गोली से उड़ा दिया. फूलन का कहना था कि जिन ठाकुरों ने उनका गैंग रेप किया था उन्होंने उनसे उसका बदला लिया है. इसका उन्हें कोई पछतावा नहीं था.
फूलन देवी ने 1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने आत्म समर्पण कर लिया. उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा.
आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई. 1994 में वह जेल से रिहा हुईं. रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. वह दो बार चुन कर संसद पहुंचीं. पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं.
25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया. इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ेगा. नाग पंचमी का दिन था फूलन देवी ने उसे खीर खिलाया. और फिर घर के गेट पर फूलन को गोली मार दी. कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है. 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.उस समय फूलन देवी की उम्र 38 वर्ष थी।